जानवर की तरह जंजीरों में रखते थे, पाकिस्तानी महिला की आपबीती सुनकर कांप जाएगी रूह

ईसाई धर्म से संबद्ध आसिया बीबी को ईशनिंदा के आरोप में पाकिस्तान की एक अदालत ने 2010 में मौत की सजा सुनाई थी लेकिन इन दिनों वह कनाडा में अपनी नई जिंदगी को पटरी पर लाने की जद्दोजहद कर रही हैं।

Asianet News Hindi | Published : Jan 30, 2020 9:08 AM IST

पेरिस. पाकिस्तान की जेल में कभी बदतर हालात में आठ साल तक पल-पल मौत की सजा का इंतजार करने वाली आसिया बीबी इन दिनों कनाडा में अपनी नई जिंदगी को पटरी पर लाने की जद्दोजहद कर रही हैं।

ईसाई धर्म से संबद्ध आसिया बीबी को ईशनिंदा के आरोप में पाकिस्तान की एक अदालत ने 2010 में मौत की सजा सुनाई थी लेकिन 2018 में नाटकीय तरीके से उन्हें रिहा कर दिया गया। वह अब कनाडा में एक अज्ञात स्थान पर रहती हैं। अब आसिया के जीवन पर एक किताब 'एनफिन लिबरे (आखिरकार आजादी मिली) आई है जिसमें उन्होंने आपबीती बयान की है। फ्रांस में बुधवार को प्रकाशित हुई इस किताब का अंग्रेजी संस्करण सितंबर में आएगा।

इस किताब की सहलेखिका फ्रांस की पत्रकार एन-इजाबेल तोलेत

फ्रांस की पत्रकार एन-इजाबेल तोलेत इस किताब की सहलेखिका हैं और वह कनाडा में आसिया बीबी के समर्थन में एक अभियान भी चला चुकी हैं। तोलेत एक मात्र पत्रकार हैं जिन्हें कनाडा में आसिया बीबी से मिलने दिया गया। किताब में आसिया बीबी ने जेल में बिताए अपने दिनों, रिहाई से मिली राहत और एक नए जीवन को संवारने में आ रही दिक्कतों का जिक्र करते हुए कहा है, "आप मीडिया के जरिए मेरी कहानी जानते हैं। लेकिन जेल, फिर यहां नई जिंदगी, नयी शुरूआत के बारे में आप कुछ नहीं जानते।"

आंसू ही जेल में मेरा एकमात्र सहारा थे

उन्होंने कहा, "मैं कट्टरता की कैदी हो गई थी। आंसू ही जेल में मेरा एकमात्र सहारा थे।" आसिया बीबी ने किताब में पाकिस्तान में जेल की बुरी स्थिति के बारे में बताया है जहां उन्हें जंजीरों में जकड़ कर रखा गया था। उन्होंने कहा, "मेरी कलाइयां जलने लगती थीं, सांस लेना मुश्किल था। मेरी गर्दन में लोहे की पट्टी बंधी रहती थी जिसे गार्ड एक नट के जरिए कस सकता था। यह पट्टी लोहे की जंजीर से जुड़ी थी और बेहद लंबी थी जिसका दूसरा छोर मेरी कलाइयों को जकड़ता था। जंजीर गंदे फर्श पर पड़ी रहती थी। आसपास केवल अंधेरा था और था मौत का अहसास।"

मुस्लिम बहुल पाकिस्तान में ईशनिंदा एक अपराध 

आसिया बीबी ने कहा कि दूसरे कैदी भी उनके प्रति कोई अपनापन या रहम नहीं दिखाते थे। मुस्लिम बहुल पाकिस्तान में ईशनिंदा एक ऐसा अपराध है जिसमें मौत की सजा हो सकती है या महज आरोप भर से कोई भीड़ का शिकार हो सकता है। आसिया बीबी का झगड़ा 2009 में एक मुस्लिम उलेमा खादिम हुसैन रिजवी से हो गया था जिसके बाद उसने उन पर ईशनिंदा का आरोप लगा दिया।

आसिया बीबी इस आरोप से इनकार करती रही हैं। उन्होंने किताब में लिखा है कि मुस्लिम बहुल देश में अल्पसंख्यक ईसाइयों को प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है। फिलहाल कनाडा में सुरक्षित जीवन जी रहीं आसिया बीबी कभी भी अपने वतन न लौटने की शर्त से बंधी हुई हैं।

इस अजनबी देश में मैं एक नए गंतव्य

उन्होंने कहा, "इस अजनबी देश में मैं एक नए गंतव्य, शायद कह लें एक नए जीवन के लिए तैयार हूं। लेकिन किस कीमत पर? मैं उस समय बुरी तरह से टूट गई जब मैं अपने पिता को अलविदा कहे बिना, अपने परिवार वालों से मिले बिना यहां के लिए रवाना हो गई। पाकिस्तान मेरा देश है। मुझे अपने देश से प्यार है लेकिन मैं हमेशा के लिए निर्वासन में हूं।"

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

Share this article
click me!