जी-20 शिखर सम्मेलन में दोनों महाशक्ति देशों की वार्ता काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं एक दूसरे को पछाड़कर धरती का खलीफा बनने के लिए आतुर हैं। इसके लिए दोनों देशों के बीच प्रतिद्वंद्विता और कटुता तेजी से बढ़ी है।
G20 summit: जी-20 शिखर सम्मेलन में पहुंचे दुनिया के दो शक्तिशाली देशों के राष्ट्र प्रमुखों ने बेहद गर्मजोशी के साथ एकदूसरे से मुलाकात की। एक दूसरे को पीछे छोड़ने की होड़ में लगे अमेरिका और चीन के राष्ट्रपतियों ने सोमवार को बाली में आमने-सामने की मुलाकात की है। ताइवान को लेकर दोनों के रिश्तों में काफी खटास आ चुकी है। गर्मजोशी से एक दूसरे से मिलने के बाद भी ताइवान के मुद्दे पर दोनों देशों ने एक दूसरे पर शांति को खतरे में डालने का आरोप लगाया। तीन घंटे तक चली दोनों की वार्ता के बाद व्हाइट हाउस ने कहा कि प्रेसिडेंट बिडेन ने ताइवान पर चीन की आक्रमक कार्रवाई की वजह से शांति को खतरे में डालने का आरोप लगाया है।
शी बोले-आपको देखकर अच्छा लगा...
सम्मेलन के लिए बाली पहुंचे दोनों महाशक्तियों के राष्ट्रपतियों की यह मुलाकात काफी अहम है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन को जैसे ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने देखा तो कहा-आपको देखकर अच्छा लगा। इस पर बिडेन मुस्कुराए और फिर दोनों ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया।
ताइवान को लेकर दोनों देशों में बढ़ी है तल्खी
मीटिंग में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग से कहा कि ताइवान पर चीन की आक्रामक कार्रवाइयों ने शांति को खतरे में डाल दिया है। तीन घंटे के द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के बाद व्हाइट हाउस ने कहा कि बिडेन ने चीन के ताइवान के प्रति जबरदस्ती और तेजी से आक्रामक कार्रवाइयों पर आपत्ति जताई है। यूएस राष्ट्रपति ने साफ कहा कि चीन का रूख, ताइवान स्ट्रेट सहित अन्य क्षेत्र में शांति और स्थिरता को कमजोर कर रही है। उधर, चीनी सरकार ने बताया कि शी जिनपिंग ने यूएस राष्ट्रपति को ताइवान मुद्दे पर कोई भी लाइन क्रास न करने की नसीहत दी है। शी ने बिडेन से कहा कि ताइवान के प्रश्न पर अमेरिका किसी भी रेड लाइन को क्रास नहीं करे ताकि अमेरिका-चीन संबंधों पर कोई असर नहीं हो।
बिडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद यह पहली मुलाकात
दरअसल, अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद जो बिडेन की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ यह पहली मुलाकात थी। दोनों देशों के राष्ट्रपति पहली बार आमने-सामने की मुलाकात की है। हालांकि, इसके पहले दोनों राष्ट्रप्रमुख टेलीफोनिक वार्ता कई मौकों पर कर चुके हैं। जी-20 शिखर सम्मेलन में दोनों महाशक्ति देशों की वार्ता काफी महत्वपूर्ण इसलिए रही क्योंकि दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं एक दूसरे को पछाड़कर धरती का खलीफा बनने के लिए आतुर हैं। इसके लिए दोनों देशों के बीच प्रतिद्वंद्विता और कटुता तेजी से बढ़ी है।
जी-20 के बारे में जानिए?
दुनिया के ताकतवर देशों का एक समूह जी-20 है। इन देशों की इकोनॉमी दुनिया में टॉप पर रही है। इस समूह का गठन दुनिया के देशों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ाना है। जी-20 देशों की कुल जीडीपी दुनिया भर के कुल देशों की 80% है। पूरी दुनिया की 60% आबादी इन्हीं 20 देशों में रहती है।
जी-20 में कौन-कौन से देश?
जी-20 में फ्रांस, इटली, जर्मनी, कोरिया, भारत, मेक्सिको, रुस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, अर्जेंटीना, तुर्की, ब्रिटेन, जापान, अमेरिका और यूरोपीय यूनियन शामिल हैं।
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