Gaza में सहायता लेकर पहुंची ग्रेटा थनबर्ग को इजरायल ने हिरासत में लेने के बाद देश से निकाला

Published : Jun 10, 2025, 11:38 PM IST
Greta Thunberg

सार

Gaza Blockade के खिलाफ सहायता मिशन पर निकली Greta Thunberg को इज़राइली नौसेना ने हिरासत में लिया। Freedom Flotilla Coalition की नाव को अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में रोका गया। ग्रेटा को फ्रांस भेजा गया, जबकि अन्य कार्यकर्ता अब भी हिरासत में हैं।

Greta Thunberg Gaza Aid: स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को सोमवार को गाज़ा (Gaza) के लिए रवाना हुई एक मानवीय सहायता मिशन शिप से हिरासत में लेने के बाद इज़राइल (Israel) ने देश से निर्वासित कर दिया है। इस नाव ‘मैडलीन’ (MV Handala) का संचालन Freedom Flotilla Coalition द्वारा किया जा रहा था। इसका मकसद गाज़ा में चल रहे युद्ध के बीच फंसे लोगों तक मानवीय मदद पहुंचाना था।

इज़राइली नौसेना ने खुले समुद्र में रोकी ‘मैडलीन’

यह नाव जब गाज़ा के तट से लगभग 200 किलोमीटर दूर अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में थी, तभी इज़राइली सेना (Israeli Navy) ने इसे रोका और अशदोद बंदरगाह ले गई। इज़राइल लंबे समय से गाज़ा पर समुद्री नाकेबंदी (Gaza Naval Blockade) बनाए हुए है जिससे सहायता सामग्री तक सीमित पहुंच सुनिश्चित की जाती है। लेकिन इस बार मामला वैश्विक सुर्खियों में आ गया क्योंकि ग्रेटा थनबर्ग इस नाव में सवार थीं।

इज़राइल ने कहा: सेलिब्रिटीज़ का सेल्फी याट

इज़राइली विदेश मंत्रालय ने इस अभियान को पब्लिक रिलेशंस स्टंट कहा और कार्यकर्ताओं पर व्यंग्य करते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि यह एक सेलिब्रिटीज़ का सेल्फी याट है, न कि कोई गंभीर मानवीय प्रयास। इस टिप्पणी से गाज़ा एकजुटता आंदोलन के समर्थकों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं।

ग्रेटा को भेजा गया फ्रांस, अन्य हिरासत में

नाव पर कुल 12 लोग सवार थे जिनमें कार्यकर्ता और एक पत्रकार शामिल थे। ग्रेटा थनबर्ग सहित चार ने निर्वासन को स्वीकार किया और इज़राइल छोड़कर फ्रांस के लिए रवाना हो गए। इज़राइली विदेश मंत्रालय ने बाद में थनबर्ग की विमान में एक तस्वीर जारी कर उनकी रवानगी की पुष्टि की। हालांकि, बाकी कार्यकर्ताओं ने निर्वासन से इनकार किया और वे अभी भी हिरासत में हैं।

गाज़ा में मानवीय त्रासदी की ओर दुनिया का ध्यान

ग्रेटा थनबर्ग ने पहले भी गाज़ा में मानवीय संकट (Gaza Humanitarian Crisis) को लेकर आवाज़ उठाई थी। इस बार उनका कहना था कि यह अभियान पूरी तरह शांतिपूर्ण और मानवीय उद्देश्य से किया गया था। थनबर्ग ने कहा कि हम केवल यह चाहते थे कि भोजन, दवाइयां और ज़रूरत का सामान वहां पहुंचे जहां बच्चों की भूख से मौत हो रही है।

नाकेबंदी बनाम नैतिक ज़िम्मेदारी

इस घटना ने एक बार फिर गाज़ा की घेराबंदी और उससे उत्पन्न मानवीय संकट पर वैश्विक बहस छेड़ दी है। जहां इज़राइल इसे सुरक्षा की दृष्टि से अनिवार्य मानता है, वहीं अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता इसे सामूहिक सज़ा की संज्ञा देते हैं। इस टकराव में अब ग्रेटा जैसी हाई-प्रोफाइल शख्सियतों की भागीदारी से मुद्दा और ज़्यादा अंतरराष्ट्रीय हो गया है।

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