पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की मुश्किलें बढ़ गई हैं। एक--एक कर सहयोगी पार्टियां साथ छोड़ रही हैं। उनके पास सिर्फ 164 सदस्यों का समर्थन है। इस बीच पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल बाजवा और आईएसआई प्रमुख ने उनसे मुलाकात की।
इस्लामाबाद। एक-एक कर सहयोगी पार्टियों का साथ छूटने और अविश्वास प्रस्ताव की मुश्किलों से घिरे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। बुधवार को बदले ताजा घटनाक्रम में उनकी सहयोगी पार्टी MQM-P ने भी विपक्ष से हाथ मिला लिया। इस बीच सूत्रों से खबर मिली थी कि इमरान देश में इमरजेंसी की घोषणा कर सकते हैं, लेकिन इससे पहले पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा (Qamar Javed Bajwa) ने इमरान खान के घर पर उनसे मुलाकात की। बाजवा के साथ पाकिस्तानी खुफिया ISI के डीजी भी मौजूद थे। इन तीनों की मुलाकात के बाद साफ हो गया कि इमरान फिलहाल कोई नया कदम नहीं उठा रहे हैं।
इमरान ने निचले सदन में खोया बहुमत
बुधवार सुबह ही इमरान खान (Imran Khan) की पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (PTI) को बड़ा झटका लगा था, जब उनकी सहयोगी पार्टी मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट- पाकिस्तान (MQM-P) ने विपक्ष से हाथ मिलाने का फैसला किया। उसने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत यह पार्टी अब अविश्वास प्रस्ताव पर इमरान के खिलाफ वोट करेगी। इस ताजा घटनाक्रम के बीच पाकिस्तान सरकार ने पाकिस्तानर संसद के निचले सदन में बहुमत खो दिया है।
सरकार बनाने के लिए चाहिए 172, इमरान के पास 164 सदस्य बचे
पाकिस्तानी नेशनल असेंबली (Pakistan NA) में कुल 342 सदस्य हैं। MQM-P के अलग होने के बाद अब इमरान के पास संसद में केवल 164 सदस्य बचे हैं। सदन में बहुमत के लिए 172 सदस्यों की जरूरत होती है।उधर, विपक्ष के पास अब 177 सदस्य हो गए हैं। ऐसे में इमरान का पलड़ा काफी कमजोर हो गया है।
इमरान की पार्टी के 24 सांसद भी बागी
पाकिस्तान में इमरान खान की पार्टी के भी 24 सांसद बागी बताए जा रहे हैं। हालांकि, सहयोगियों के साथ छोड़ने के बाद बागी यदि बगावत नहीं भी करें तो भी इमरान के पास बहुमत नहीं है। इमरान के खिलाफ सोमवार को अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था। इस पर 3 अप्रैल को वोटिंग होनी है। ऐसे में माना जा रहा है कि वोटिंग होते ही सरकार गिर जाएगी। पाकिस्तानी हुकूमत के जानकारों का कहना है कि इमरान की PTI के 14 सदस्य साफतौर पर कह चुके हैं कि वे विपक्ष के साथ हैं। 8 सदस्य ऐसे हैं, जो खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं। लेकिन वे भी विपक्ष के खेमें में जा सकते हैं।
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