
न्यूयॉर्क. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोमवार को अमेरिका को लेकर बड़ा बयान दिया। इमरान ने कहा कि 9/11 हमले के बाद अमेरिका का साथ देना पाकिस्तान की सबसे बड़ी भूल थी। इमरान खान ने जनरल परवेज मुशर्रफ के फैसले को लेकर कहा कि पिछली सरकारों को वे वादे नहीं करने चाहिए थे, जिन्हें वे पूरा नहीं कर सकते थे।
अमेरिका में 9/11 हमले के पहले पाकिस्तान उन तीनों देशों में से एक था, जिन्होंने अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता दी थी। लेकिन अमेरिका में हमले के बाद पाकिस्तान ने तालिबान से लड़ाई में अमेरिका की मदद की।
पाक में आतंकियों को जिहाद के लिए ट्रेनिंग दी गई- इमरान
विदेश संबंधों की परिषद में इमरान ने कहा, 1980 के दशक में जब सोवियत संघ ने अफगानिस्तान-पाकिस्तान के खिलाफ जंग छेड़ी। उस वक्त आईएसआई ने सोवियत के खिलाफ दुनियाभर के मुस्लिम देशों से आए आतंकियों को जिहाद के लिए ट्रेनिंग दी। हमने सोवियत के खिलाफ आतंकी संगठन बनाए। जिहादी उस वक्त हमारे लिए हीरो थे। 1989 में सोवियत ने अफगानिस्तान को छोड़ दिया, अमेरिका वापस चला गया, लेकिन आतंकी संगठन हमारे यहां रह गए।
'अफगानिस्तान में सैन्य कार्रवाई समस्या का हल नहीं'
पाक प्रधानमंत्री ने कहा, अब 9/11 की बात करें, तो पाकिस्तान ने आतंकियों के खिलाफ अमेरिका की मदद की। इसके बावजूद अमेरिका को अफगानिस्तान में जीत नहीं मिली तो पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया गया। उन्होंने कहा कि अमेरिका में कोई भी सैन्य कार्रवाई समस्याओं का समाधान नहीं हो सकती। मैं राष्ट्रपति ट्रम्प से अफगानिस्तान में फिर से वार्ता शुरू करने की अपील करूंगा।
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