अगले राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर ट्रम्प ने तालिबान से समझौते का दिया संकेत, अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की होगी वापसी

Published : Aug 18, 2019, 10:19 AM ISTUpdated : Aug 18, 2019, 10:26 AM IST
अगले राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर ट्रम्प ने  तालिबान से समझौते का दिया संकेत, अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की होगी वापसी

सार

अगले साल अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को देखते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की पूरी तरह वापसी करना चाहते हैं, क्योंकि अफगानिस्तान में लंबे समय से चली आ रही अमेरिकी दखलन्दाजी से उसे कई फायदा नहीं हुआ है। 

वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अफगानिस्तान के अपने शांति दूत और शीर्ष सुरक्षा सलाहकारों से तालिबान के साथ बातचीत के हालिया दौर में हुई प्रगति पर चर्चा करने के लिए एक बैठक में मुलाकात की है, जिससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि अमेरिका अफगानिस्तान  से अपने सभी सैनिकों को वापस बुला लेना चाहता है। यह महत्वपूर्ण बैठक गत शुक्रवार को हुई। उल्लेखनीय है कि पहले भी अफगानिस्तान से कई दौर में सैनिकों की वापसी हो चुकी है। अफगानिस्तान में तालिबान से युद्ध और वहां पिछले 19 वर्षों से  अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी अमेरिका को भारी पड़ी है। 

अगले साल है अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव
अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की करीब दो दशकों तक मौजूदगी से अमेरिका पर बहुत ज्यादा आर्थिक बोझ पड़ा है और अफगानिस्तान की समस्या का कोई निदान भी नहीं हो सका। इससे अमेरिका की पूरी दुनिया में आलोचना तो हुई ही, घरेलू मोर्चे पर भी सरकार को लगातार विरोध का सामना करना पड़ा। कहा जा रहा है कि अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को देखते हुए ट्रम्प के लिए अफगानिस्तान के सवाल पर कोई निर्णय लेना जरूरी हो गया है। 

ट्रम्प ने किया ट्वीट
न्यू जर्सी के गोल्फ क्लब में अफगानिस्तान में अमेरिका के शांति दूत और सुरक्षा सलाहकारों से चर्चा के बाद  पर ट्रम्प ने एक ट्वीट किया। ट्वीट में ट्रम्प ने लिखा, "अफगानिस्तान में जारी इस 19 वर्षीय युद्ध के कई विरोधी और हम भी एक समझौते के लिए सहमत हैं, यदि यह संभव हो।" माना जा रहा है कि इस उच्च स्तरीय बैठक में अफगानिस्तान में शांति की योजना के एक मसौदे पर विचार किया गया।

कौन-कौन मौजूद थे बैठक में 
बैठक में ट्रम्प के अफगान शांति दूत, ज़ल्माय खलीलज़ाद, सेक्रेटरी ऑप स्टेट माइक पोम्पिओ, उप राष्ट्रपति  माइक पेंस, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन और सैन्य और सीआईए के प्रमुख मौजूद थे।

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