29 साल बाद भारतीय राष्ट्रपति ने किया जापान का दौरा, राज्याभिषेक में हुए शामिल

Published : Oct 22, 2019, 08:04 PM IST
29 साल बाद भारतीय राष्ट्रपति ने किया जापान का दौरा, राज्याभिषेक में हुए शामिल

सार

राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द मंगलवार को जापान के नए सम्राट नारुहितो के राज्याभिषेक समारोह में शामिल हुए। नारुहितो के पिता एवं सम्राट अकिहितो ने इस साल के शुरू में बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य कारणों से राजसिंहासन छोड़ने की इच्छा व्यक्त की थी।

तोक्यो. राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द मंगलवार को जापान के नए सम्राट नारुहितो के राज्याभिषेक समारोह में शामिल हुए। नारुहितो के पिता एवं सम्राट अकिहितो ने इस साल के शुरू में बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य कारणों से राजसिंहासन छोड़ने की इच्छा व्यक्त की थी। इसके बाद नारुहितो के लिए सम्राट बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ। क्योको (राजमहल) में 30 मिनट तक चले नारुहितो के राज्याभिषेक समारोह में लगभग 190 देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की हस्तियों सहित लगभग दो हजार अतिथि शामिल हुए।

जापान के 126वें सम्राट बने नारुहितो
समारोह में प्राचीन प्रोटोकॉल, विशिष्ट परंपराओं और साम्राज्य के वैभव की झलक दिखी जो लगभग दो हजार साल पुराना बताया जाता है। राज्याभिषेक संबंधी रस्में पूरी होने के बाद सम्राट अकिहितो ने 'क्राइसैंथिमम थ्रोन' (राजसिंहासन) अपने बेटे नारुहितो के हवाले कर दिया और इस तरह नारुहितो देश के 126वें सम्राट बन गए। राष्ट्रपति भवन ने एक बयान में कहा कि कोविन्द सम्राट नारुहितो के राज्याभिषेक समारोह में शामिल हुए। कोविन्द दो देशों-फिलीपीन और जापान की अपनी यात्रा के अंतिम चरण में सोमवार को यहां पहुंचे।

29 साल बाद भारतीय राष्ट्रपति की जापान यात्रा 
भारत के किसी राष्ट्रपति की 29 साल बाद यह पहली जापान यात्रा है। उनसे पहले 1990 में तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमण जापान के सम्राट (एमेरिटस) अकिहितो के राज्याभिषेक समारोह में शामिल हुए थे। सम्राट नारुहितो ने ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी पढ़ाई की है और वह विदेश में शिक्षा प्राप्त करने वाले पहले जापानी सम्राट हैं। पूर्व सम्राट एवं अपने 85 वर्षीय पिता अकिहितो के पद त्यागने के बाद राजसिंहासन एक मई को नारुहितो के उत्तराधिकार में आ गया था।

अकिहितो लगभग 200 वर्षों में ऐसे पहले सम्राट रहे जिन्होंने बढ़ती उम्र और गिरते स्वास्थ्य की वजह से राजसिंहासन त्याग दिया।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

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