
नई दिल्ली। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद एक बार फिर दहल उठी। मंगलवार दोपहर करीब 12:39 बजे (स्थानीय समयानुसार) जी-11 सेक्टर में स्थित एक जिला अदालत के बाहर हुए आत्मघाती धमाके ने पूरे पाकिस्तान को झकझोर दिया। एक पुलिस वाहन के पास हुए इस धमाके में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई, जबकि 36 से ज़्यादा लोग घायल हो गए। हमलावर अदालत परिसर में घुसना चाहता था, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था के चलते नाकाम रहा। इसके बाद उसने गेट पर ही खुद को उड़ा लिया।
पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नक़वी ने घटनास्थल का दौरा कर बताया कि “हमलावर करीब 12 मिनट तक अदालत के बाहर खड़ा रहा। वह अंदर घुसने की कोशिश कर रहा था, लेकिन नाकाम होने पर उसने खुद को उड़ा लिया।” धमाके के तुरंत बाद ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने एक बड़ा बयान देते हुए भारत पर इस हमले की साज़िश रचने का आरोप लगाया।
हमले के कुछ घंटों बाद ही प्रधानमंत्री शरीफ़ ने कहा कि “भारत अफ़ग़ानिस्तान की सीमा के पास सक्रिय आतंकवादी संगठनों को समर्थन दे रहा है।” उन्होंने दावा किया कि यह धमाका भारत समर्थित आतंकवादियों द्वारा किया गया। वहीं, गृह मंत्री मोहसिन नक़वी ने भी इशारों में कहा कि “आतंकवादियों की फंडिंग तीन गुना बढ़ गई है, और कई विदेशी हाथ इसमें शामिल हैं।” लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या वाकई इसके पीछे भारत का हाथ है, या पाकिस्तान एक बार फिर अपने अंदरूनी हालात से ध्यान भटकाने के लिए वही पुराना कार्ड खेल रहा है?
इस धमाके के बाद ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, चीन और अमेरिका ने दुख व्यक्त किया है। ब्रिटेन के राजदूत जेन मैरियट ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “इस्लामाबाद में हुए विस्फोट की निंदा करते हैं। ब्रिटिश नागरिक सावधानी बरतें और स्थानीय अधिकारियों के निर्देशों का पालन करें।” ब्रिटिश सरकार ने पाकिस्तान के लिए अपनी ट्रैवल एडवाइजरी को अपडेट कर दिया है, खासकर इस्लामाबाद और उसके आसपास के इलाकों के लिए।
पिछले 24 घंटों में दिल्ली और इस्लामाबाद, दोनों जगह आतंकवादी घटनाएं हुईं। एक तरफ पाकिस्तान भारत पर आरोप लगा रहा है, तो दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर विशेषज्ञ कह रहे हैं कि यह “आतंकवाद को विदेश नीति के हथियार” के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश है। एक यूजर ने लिखा, “#Delhi में आतंकवाद, #Islamabad में आतंकवाद। जब तक पाकिस्तानी सेना आतंक को अपनी नीति का हिस्सा बनाए रखेगी, तब तक साउथ एशिया में शांति नामुमकिन है।”
फिलहाल, पाकिस्तान सरकार ने कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया है जो भारत की संलिप्तता साबित कर सके। लेकिन यह घटना एक बार फिर दिखाती है कि इस्लामाबाद जैसे हाई सिक्योरिटी ज़ोन में भी आतंकवाद ने अपनी जड़ें कितनी गहरी जमा ली हैं। अब असली सवाल यही है कि क्या यह आत्मघाती हमला अफगान सीमा से जुड़ी आतंकी राजनीति का नतीजा है, या पाकिस्तान का एक और “ब्लेम गेम”? जवाब आने में वक्त लगेगा, लेकिन यह धमाका एक बार फिर साबित करता है कि दक्षिण एशिया में शांति की राह अभी भी बहुत कठिन है।
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