पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में बलिदान देने वाले 20 भारतीय सैनिकों के नाम पर लद्दाख के दौलत-बेग ओल्डी में भारतीय सेना की इकाई ने एक स्मारक बनाया गया है। इस स्मारक में 20 शहीद सैनिकों के नाम और 15 जून के स्नौ लैपर्ड ऑपरेशन का पूरा विवरण है। 15 जून की रात गलवान घाटी में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। झड़प में 16वीं बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग अधिकारी कर्नल बी संतोष बाबू समेत 19 अन्य सैनिक शहीद हो गए थे। इन सैनिकों के नाम नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर भी अंकित किए जाने की प्रक्रिया चल रही है।
लेह. पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में बलिदान देने वाले 20 भारतीय सैनिकों के नाम पर लद्दाख के दौलत-बेग ओल्डी में भारतीय सेना की इकाई ने एक स्मारक बनाया गया है। इस स्मारक में 20 शहीद सैनिकों के नाम और 15 जून के स्नौ लैपर्ड ऑपरेशन का पूरा विवरण है। 15 जून की रात गलवान घाटी में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। झड़प में 16वीं बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग अधिकारी कर्नल बी संतोष बाबू समेत 19 अन्य सैनिक शहीद हो गए थे। इस घटना के बाद पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनाव बढ़ गया था। भारत ने इसे चीन द्वारा सोची-समझी और पूर्वनियोजित कार्रवाई बताया था। इन सैनिकों के नाम नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर भी अंकित किए जाने की प्रक्रिया चल रही है।
क्या हुआ था गलवान में?
पूर्वी लद्दाख में पिछले पांच दशकों में हुए सबसे बड़े सैन्य टकराव में 15 जून की रात गलवान घाटी में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। गलवान घाटी में पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 के पास चीन द्वारा निगरानी चौकी बनाए जाने का विरोध करने के बाद चीनी सैनिकों ने पत्थरों, नुकीले हथियारों, लोहे की छड़ों आदि से भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया था। चीन ने झड़प में हताहत हुए अपने सैनिकों की संख्या के बारे में नहीं बताया था।
चीन के 35 सैनिक हुए हताहत
हालांकि अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस हिंसक झड़प के दौरान चीनी पक्ष के करीब 35 सैनिक मारे गए थे। पूर्वी लद्दाख में 17 जुलाई को लुकुंग अग्रिम चौकी के दौरे के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीनी सैनिकों से लड़ाई में अदभुत शौर्य और वीरता दिखाने के लिए बिहार रेजिमेंट के सैनिकों की करते हुए कहा कि गलवान घाटी में शहीद हुए भारतीय सैन्यकर्मियों ने ना केवल अदभुत शौर्य का परिचय दिया बल्कि 130 करोड़ भारतीयों के गौरव की भी रक्षा की।