किसी की हुई हत्या तो किसी का तख्तापलट, 75 साल में पाकिस्तान का कोई PM पूरा नहीं कर पाया 5 साल का कार्यकाल

Published : Mar 31, 2022, 05:38 AM ISTUpdated : Mar 31, 2022, 05:46 AM IST
किसी की हुई हत्या तो किसी का तख्तापलट, 75 साल में पाकिस्तान का कोई PM पूरा नहीं कर पाया 5 साल का कार्यकाल

सार

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) की कुर्सी खतरे में है। यह पहली बार नहीं है कि पाकिस्तान के पीएम को हटाया जा रहा है। 75 साल में पाकिस्तान में एक भी पीएम अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए।

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) की कुर्सी जाने वाली है। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश हो चुका है। उनकी पार्टी पीटीआई के कई सदस्यों ने बगावत कर दी है। वहीं, सहयोगी दल भी विपक्ष का साथ देते दिख रहे हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि इमरान को कभी भी कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है। नेशनल असेंबली उनके खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर तीन अप्रैल को मतदान हो सकता है। 

यह पहली बार नहीं है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को कुर्सी से हटाया जा रहा है। 75 साल के इतिहास में पाकिस्तान में एक भी प्रधानमंत्री अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। पाकिस्तान की सत्ता की बागडोर अपने हाथ में रखने वाली सेना ने किसी भी प्रधानमंत्री को 5 साल शासन नहीं करने दिया। किसी को तख्तापलट कर हटा दिया गया तो किसी को इस्तीफा देना पड़ा। अब तक 19 लोग प्रधानमंत्री कार्यालय जा चुके हैं। किसी की हत्या कर दी गई तो किसी को मनमानी बर्खास्तगी, मार्शल लॉ या अविश्वास-वोट के चलते कुर्सी छोड़नी पड़ी।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और उनके कार्यकाल

  • लियाकत अली खान, (1947-1951) - हत्या हो गई।
  • ख्वाजा नजीमुद्दीन (1951-1953)- गवर्नर जनरल ने सरकार भंग कर दी।
  • मोहम्मद अली बोगरा (1953-1955) - गवर्नर जनरल ने सरकार भंग कर दी।
  • चौधरी मोहम्मद अली (1955-1956)- इस्तीफा दे दिया।
  • हुसैन शहीद सुहरावर्दी (1956-1957) - इस्तीफा दे दिया।
  • इब्राहिम इस्माइल चुंदरीगर (1957) - अविश्वास से हटाया गया।
  • फिरोज खान नून (1957-1958) - राष्ट्रपति द्वारा मार्शल लॉ लागू करने के बाद सरकार गिर गई
  • 1958-1971: जनरल अयूब खान के नेतृत्व में पाकिस्तान में मार्शल लॉ लगाया गया। उन्होंने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के कार्यालयों दोनों को मिला दिया और राज्य और सरकार दोनों के प्रमुख बन गए।
  • नूरुल अमीन (1971): बांग्लादेश के गठन के बाद इस्तीफा दे दिया।
  • 1971-1973: जुल्फिकार अली भुट्टो ने 'नए संविधान' की घोषणा करते हुए राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।
  • जुल्फिकार अली भुट्टो (1973-1977): जुल्फिकार अली भुट्टो को जनरल जिया उल हक द्वारा सैन्य तख्तापलट कर हटाया गया।
  • 1977-1985: जनरल जिया उल हक ने प्रधानमंत्री का पद समाप्त कर दिया।
  • मोहम्मद खान जुनेजो (1985-1988): जनरल जिया उल हक द्वारा बर्खास्त।
  • बेनजीर भुट्टो (1988-1990): राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान द्वारा बर्खास्त।
  • नवाज शरीफ (1990-1993): राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान ने बर्खास्त कर दिया।
  • बेनजीर भुट्टो (1993-1996): राष्ट्रपति फारूक लेघारी द्वारा बर्खास्त।
  • नवाज शरीफ (1997-1999): जनरल परवेज मुशर्रफ ने सैन्य तख्तापलट कर हटा दिया।
  • 1999-2002: पाकिस्तान में कोई प्रधानमंत्री नहीं, जनरल जिया उल हक के विपरीत, जनरल मुशर्रफ ने इस पद को समाप्त नहीं किया था।
  • जफरुल्लाह खान जमाली (2002-2004): इस्तीफा दे दिया।
  • चौधरी शुजात हुसैन (2004): पद छोड़ दिया।
  • शौकत अजीज (2004-2007): संसदीय चुनाव के समय कार्यालय छोड़ दिया।
  • यूसुफ रजा घिलानी (2008-2012): सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोग्य घोषित।
  • राजा परवेज अशरफ (2012-2013): संसदीय चुनाव के समय कार्यालय छोड़ दिया।
  • नवाज शरीफ (2013-2017): सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्य ठहराया।
  • शाहिद खाकान अब्बासी (2017-2018): संसदीय चुनाव के समय कार्यालय छोड़ दिया।
  • इमरान खान (2018-मौजूदा): 31 मार्च, 2022 को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ेगा।

यह भी पढ़ें- खत्म होने वाली है पाकिस्तान के PM इमरान खान की पारी? सहयोगियों ने 3 अप्रैल के मतदान से पहले समर्थन खींचा

PREV

अंतरराष्ट्रीय राजनीति, ग्लोबल इकोनॉमी, सुरक्षा मुद्दों, टेक प्रगति और विश्व घटनाओं की गहराई से कवरेज पढ़ें। वैश्विक संबंधों, अंतरराष्ट्रीय बाजार और बड़ी अंतरराष्ट्रीय बैठकों की ताज़ा रिपोर्ट्स के लिए World News in Hindi सेक्शन देखें — दुनिया की हर बड़ी खबर, सबसे पहले और सही तरीके से, सिर्फ Asianet News Hindi पर।

Recommended Stories

फील्ड मार्शल असीम मुनीर पर इमरान के आरोपों का आर्मी ने दिया जवाब, बताया 'मेंटली इल'
मुनीर को गिरफ्तार करें और भारत से माफी मांगे ट्रंप-पूर्व पेंटागन अफसर की चौंकाने वाली डिमांड क्यों?