Global रिपोर्ट में सबसे निचले इंडेक्स पर Pakistan, CJP बोले-न्यायापालिका सेना के दबाव में नहीं

न्यायपालिका पाकिस्तान में बेहद दबाव में काम कर रही है। यह वर्ल्ड जस्टिस प्रोजेक्ट ने कही है। इस संस्था की रिपोर्ट में पाकिस्तान को निकारागुआ और हैती के ठीक ऊपर, और नाइजीरिया, इथियोपिया और म्यांमार के नीचे रखा गया है। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 21, 2021 12:33 PM IST

इस्लामाबाद। पाकिस्तान (Pakistan) के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) गुलजार अहमद (Gulzar Ahmad) ने सुरक्षा संस्थानों के दबाव में होने के आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि देश में न्यायपालिका (Judiciary) कभी भी अन्य संस्थानों से निर्देश नहीं लेती है। चीफ जस्टिस का यह बयान उस समय आया जब वर्ल्ड जस्टिस प्रोजेक्ट (World Justice Project) के 'रूल ऑफ लॉ इंडेक्स' (Rule of Law Index) में 139 देशों में से 130वें स्थान पर पाकिस्तान को रखा गया है।

दरअसल, लाहौर में एक सम्मेलन के दौरान देश के सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (Supreme Court Bar Association) के पूर्व अध्यक्ष अली अहमद कुर्द (Ali Ahmad Kurd) द्वारा न्यायपालिका के दबाव में काम करने की गई टिप्पणी की गई थी। कुर्द ने यह आलोचना 'मानव अधिकारों की रक्षा और लोकतंत्र को मजबूत करने में न्यायपालिका की भूमिका' विषय पर संबोधन के दौरान की थी। 

उन्होंने कहा कि एक जनरल 220 मिलियन लोगों के देश पर हावी है। इसी जनरल ने न्यायपालिका को रैंकिंग में 126 वें नंबर पर भेज दिया है। उन्होंने डब्ल्यूजेपी (WJP) के रूल ऑफ लॉ इंडेक्स 2021 का जिक्र करते हुए कहा, मौलिक अधिकारों का न्यायपालिका के भीतर एक स्पष्ट और देखने योग्य विभाजन हो चुका है।

पाकिस्तान के चीफ जस्टिस ने दिया जवाब

बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष को जवाब देते हुए, पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गुलजार ने कहा कि वह वरिष्ठ वकील द्वारा किए गए आकलन से बिल्कुल सहमत नहीं। उन्होंने इस आरोप का खंडन किया कि पाकिस्तानी अदालतें मुक्त नहीं हैं और न्यायपालिका किसी के या संस्थानों के दबाव में काम कर रहे हैं।

चीफ जस्टिस ने कहा कि उन्होंने किसी संस्था का दबाव नहीं लिया है और न ही किसी संस्था की बात सुनी है। कोई मुझे नहीं बताता या मेरा मार्गदर्शन नहीं करता कि मैं अपना फैसला कैसे लिखूं। मैंने कभी कोई फैसला नहीं किया है कि मैंने ऐसा किसी और के कहने पर किया है, और न ही किसी ने मुझसे कुछ भी कहने की हिम्मत की है।

गुलजार ने जोर देकर कहा कि किसी ने भी उनके काम में हस्तक्षेप नहीं किया और उन्होंने "अपनी समझ और विवेक" के अनुसार मसलों पर निर्णय किया। उन्होंने कहा, "मैंने कभी किसी की बात सुनी, देखी, समझी या महसूस नहीं की।"

स्वतंत्र है न्यायपालिका, दबाव की बात बहानेबाजी

विशेष रूप से, इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनल्लाह ने कुर्द द्वारा दी गई कुछ दलीलों को स्वीकार किया। इस्लामाबाद एचसी के मुख्य न्यायाधीश ने कुर्द को धन्यवाद देते हुए कहा कि "हमारे लिए यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि बार और लोग हमारे बारे में क्या सोचते हैं।"
उन्होंने कहा, "मैं अली अहमद कुर्द को आश्वस्त करता हूं कि कोई भी न्यायाधीश जो स्वतंत्र है, वह कभी भी यह बहाना नहीं बना सकता कि उस पर दबाव डाला जा सकता है या प्रभावित किया जा सकता है। ऐसा कोई भी बहाना ... मुझे डर है ... शपथ का उल्लंघन है।"

रुल ऑफ लॉ इंडेक्स में पाकिस्तान की हालत सबसे खराब

न्यायपालिका पाकिस्तान में बेहद दबाव में काम कर रही है। यह वर्ल्ड जस्टिस प्रोजेक्ट ने कही है। इस संस्था की रिपोर्ट में पाकिस्तान को निकारागुआ और हैती के ठीक ऊपर, और नाइजीरिया, इथियोपिया और म्यांमार के नीचे रखा गया है। वर्ल्ड जस्टिस प्रोजेक्ट के 'रूल ऑफ लॉ इंडेक्स' में 139 देशों में से 130वें स्थान पर पाकिस्तान है।

यह भी पढ़ें:

Farm Laws: सिंघु बार्डर पर निर्णय-पीएम मोदी को लिखेंगे खुला पत्र, पूछा टेनी को क्यों नहीं किया जा रहा बर्खास्त

Governor Bgdr. BD Mishra बोले: 1962 का उलटफेर कमजोर नेतृत्व की देन, अब हमारे पास दुनिया की शक्तिशाली सेना

Share this article
click me!