पाकिस्तान ने लगाया तहरीक-ए-लब्बैक पर प्रतिबंध, Anti-Terrorism act के तहत कार्रवाई

कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पर पाकिस्तान ने प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। वहां के आतंकवाद निरोधी कानून के तहत संगठन पर कार्रवाई की गई है। तहरीक-ए-लब्बैक के प्रमुख मौलाना साद रिजवी की गिरफ्तारी के बाद उसके समर्थकों  ने पूरे पाकिस्तान में हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिया था जिसमें सात लोगों की मौत होने के साथ कम से कम तीन सौ पुलिसवाले जख्मी हो गए थे। 

लाहौर। कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पर पाकिस्तान ने प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। वहां के आतंकवाद निरोधी कानून के तहत संगठन पर कार्रवाई की गई है। तहरीक-ए-लब्बैक के प्रमुख मौलाना साद रिजवी की गिरफ्तारी के बाद उसके समर्थकों  ने पूरे पाकिस्तान में हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिया था जिसमें सात लोगों की मौत होने के साथ कम से कम तीन सौ पुलिसवाले जख्मी हो गए थे। 

इस कानून के तहत लगाया गया प्रतिबंध

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पाकिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री शेख रशीद अहमद ने बताया कि तहरीक-ए-लब्बैक को एंटी टेररिज्म एक्ट 1997 के नियम 11बी के तहत बैन करने का निर्णय लिया गया है। पंजाब प्रांत की सरकार द्वारा मिले प्रस्ताव पर सरकार ने यह निर्णय लिया है। मंत्री रशीद अहमद ने बताया कि मारे गए लोगों में कम से कम दो पुलिसवाले शामिल हैं जबकि 340 से अधिक जवान घायल हैं। 

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सभी मार्गाें को खोल दिया गया 

आंतरिक मामलों के मंत्री ने बताया कि सभी हाईवे या अन्य मार्गाें  को खोल दिया गया है। कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए सुरक्षाकर्मी लगा दिए गए हैं। 

इस वजह से पाकिस्तान में फैली हिंसा

मौलवी साद रिजवी ने पैगंबर मोहम्मद का चित्र प्रकाशित किए जाने को लेकर फ्रांस के राजदूत को पाकिस्तान से निष्कासित करने की मांग सरकार से की थी। रिजवी ने पाकिस्तान की सरकार को धमकी दी थी कि अगर राजदूत पर कार्रवाई नहीं की जाती तो उग्र प्रदर्शन होंगे। इस बयान के बाद पुलिस ने साद को 12 अप्रैल को गिरफ्तार कर लिया था। साद की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान में उग्र ंिहंसक प्रदर्शन होने लगे। 

इमरान सरकार ने किया था वादा

दरअसल, पैगंबर मोहम्मद के चित्र को प्रकाशित करने के मामले में बीते नवम्बर में भी तहरीक-ए-लब्बैक ने काफी बड़ा प्रदर्शन किया था। इस वक्त बैकफुट पर आई इमरान खान की सरकार ने लिखित आश्वासन दिया था कि सरकार पाकिस्तान में फ्रांस के राजदूत को निष्कासित कर देगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पहले सरकार को फरवरी महीने तक कार्रवाई करने को कहा था लेकिन अब 20 अप्रैल तक यह मौका दिया गया था। 

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