
Pakistan: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को भारत की सेना द्वारा जवाबी कार्रवाई का खौफ सता रहा है। इस बीच उसके अपने देश की HRCP (Human Rights Commission of Pakistan) ने ऐसी रिपोर्ट जारी की है, जिससे पता चलता है कि यह देश अपने ही पापों के चलते तिल-तिल कर मर रहा है।
HRCP ने बुधवार को पाकिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट 2024 जारी की। इसमें बिगड़ती नागरिक स्वतंत्रता, उग्रवाद में वृद्धि, लोकतांत्रिक ढांचे के गिरने और असहमति के लिए जगह कम होने की गंभीर तस्वीर पेश की गई है।
रिपोर्ट जारी करते हुए HRCP के अध्यक्ष असद इकबाल बट ने कहा कि पाकिस्तान में "बहुआयामी संकट" है। मानवाधिकारों में चिंताजनक रूप से गिरावट आई है। महंगाई, बेरोजगारी और खराब कानून व्यवस्था के चलते लोगों की मानसिक दशा बिगड़ रही है। 2024 में 1166 आतंकवादी हमले हुए। इनके चलते 2,546 लोगों की जान गई। आतंकी हमलों में 2023 की तुलना में 2024 में 66 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
पाकिस्तानी मीडिया संस्थान डॉन के अनुसार, इकबाल बट ने "कुर्रम युद्धक्षेत्र" का हवाला दिया। यहां पिछले साल 250 लोग मारे गए थे। नवंबर में एक घातक हमले में 52 लोगों की जान गई थी। पाकिस्तान में जवाबी हिंसा में 80 से अधिक मौतें हुईं। मॉब लिंचिंग कर 24 लोगों को मार डाला गया।
रिपोर्ट में उग्रवाद में भी भारी वृद्धि की बात कही गई है। इसके चलते पिछले साल 2,500 से अधिक मौतें हुईं। सबसे अधिक लोग खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में मारे गए। स्वात और सरगोधा में ईशनिंदा के आरोप लगाकर भीड़ ने कम से कम 24 लोगों की हत्या कर दी।
पाकिस्तान में सुरक्षा बलों द्वारा लोगों को जबरन गायब किए जाने के मामले बढ़ें हैं। आधिकारिक तौर पर ऐसे 379 नए मामले सामने आए हैं। सिंध और पंजाब में 4,864 फर्जी पुलिस मुठभेड़ हुए। अकेले सिंध में 3,856 फर्जी मुठभेड़ें हए। इनके चलते 341 मौतें हुईं।
ईशनिंदा के आरोप में 1,200 से ज्यादा लोगों को जेल में डाल दिया गया। कई को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए चरमपंथी समूहों ने फंसाया। अहमदिया समुदाय के लोगों के खिलाफ हिंसा बढ़ी है। कम से कम पांच धार्मिक-आधारित हत्याएं हुईं हैं। इस समुदाय के 200 से अधिक कब्रों और पूजा स्थलों को अपवित्र किया गया।
पाकिस्तान में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा बढ़ी है। पिछले साल 405 ऑनर किलिंग की घटनाएं हुईं। 24 में कथित तौर पर पुलिस कर्मी शामिल थे। 4,175 बलात्कार के मामले, 1,641 घरेलू हत्याएं और बच्चों के खिलाफ हिंसा के 1,630 मामले सामने आए।
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