यूएई क्यों पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा देने की बजाय भारतीयों को अधिक पसंद करता? पाक जर्नलिस्ट ने किया खुलासा

पाकिस्तान के ही एक पत्रकार ने यह बताया है कि आखिर क्यों पाकिस्तानियों की अपेक्षा भारतीयों को अरब देशों में काम पर अधिक प्राथमिकता मिलती है।

 

इस्लामाबाद। यूएई में श्रम करने के लिए पड़ोसी देशों के लोगों की मांग अधिक है। भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका सहित कई एशियाई देशों से काफी अधिक संख्या में लोग रोजी-रोटी के लिए यूएई में जाते हैं। हर साल लाखों की संख्या में अरब देशों में पहुंचते हैं। लेकिन यूएई के अधिकारियों की मानें तो वह पाकिस्तानी श्रमिकों की बजाय भारतीय श्रमबल पर अधिक भरोसा कर रहा है। पाकिस्तान के ही एक पत्रकार ने यह बताया है कि आखिर क्यों पाकिस्तानियों की अपेक्षा भारतीयों को अरब देशों में काम पर अधिक प्राथमिकता मिलती है।

पाकिस्तानी पत्रकार उमर चीमा ने पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा देने से इनकार करने के संबंध में संयुक्त अरब अमीरात के अधिकारियों के बयानों का हवाला देते हुए विस्तार से वजहों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया है।

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चीमा के मुताबिक, यूएई के अधिकारियों ने पाकिस्तानी मजदूरों के कौशल स्तर को लेकर आपत्ति जताई है। उनका मानना है कि पाकिस्तान के श्रमिकों में कौशल की कमी तो है ही वह सीखने की कोशिश भी नहीं करते हैं। जबकि भारतीय इस मामले में बेहतर हैं। वह कौशल में दक्ष होते हैं। भाषाई स्तर पर देखें तो अंग्रेजी का ज्ञान भारतीयों में अधिक है जबकि पाकिस्तानी इसमें भी कमतर हैं। चीमा का मानना है कि यूएई एक बहुसांस्कृतिक वातावरण वाला देश है।

चीमा ने कहा कि यूएई के अधिकारियों ने एक बात कही कि पाकिस्तानी मजदूरों के पास कौशल नहीं है। वे कहते हैं कि पाकिस्तानियों के पास कौशल की समस्या है। दूसरी बात, पाकिस्तानियों के बीच भाषा एक मुद्दा है। पाकिस्तानी अंग्रेजी नहीं जानते हैं। यूएई में अन्य राष्ट्रीयताओं से संबंधित लोग अंग्रेजी बोलते हैं।

यूएई के अपराध में सबसे अधिक पाकिस्तानी

उमर चीमा ने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात की जेलों में पाकिस्तानियों की संख्या अन्य देशों के लोगों से अधिक है। वह सबसे अधिक ड्रग्स की तस्करी में जेलों में हैं। यह संख्या यूएई के लिए चिंताजनक है और इसलिए वह पाकिस्तान के लोगों को वीजा देने से कतराते हैं। उन्होंने कहा कि यूएई के अधिकारियों ने एक और बात कही कि पाकिस्तानियों की तुलना में भारतीय मजदूरों की संख्या दोगुनी है लेकिन देश की जेलों में पाकिस्तानियों की संख्या दोगुनी है। उनका दावा है कि जो पाकिस्तानी यूएई आते हैं वे अपने साथ ड्रग्स लाते हैं।

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