
Pakistan PM Fact Check: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) को सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (Twitter) पर इतिहास का सबक मिल गया। कश्मीर को लेकर उनका झूठा दावा 'फैक्ट-चेक' के बाद दुनिया के सामने बेनकाब हो गया। उन्होंने अपने पोस्ट में कहा था कि 'भारत ने कश्मीर पर कब्जा कर लिया था', लेकिन X पर कम्युनिटी नोट्स ने इस दावे को 'फॉल्स' यानी झूठा बता दिया।
X पर लगे कम्युनिटी नोट्स में साफ लिखा गया कि कश्मीर का भारत में विलय किसी कब्जे से नहीं, बल्कि कानूनी प्रक्रिया से हुआ था। कश्मीर के तत्कालीन शासक महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर 1947 को भारत के साथ विलय समझौते (Instrument of Accession) पर हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद भारतीय सेना को राज्य की रक्षा के लिए बुलाया गया यानी पहले विलय हुआ, फिर सेना भेजी गई। कम्युनिटी नोट में कहा गया, 'इंडियन आर्मी ने श्रीनगर पर कब्जा नहीं किया था, बल्कि पाकिस्तानी जनजातीय हमलावरों से लोगों को बचाने के लिए प्रवेश किया था।'
उस वक्त पाकिस्तान समर्थित जनजातीय लड़ाकों ने जम्मू-कश्मीर में बड़े पैमाने पर हमला किया था, जिसमें सैकड़ों निर्दोष लोगों की हत्या हुई।महाराजा हरि सिंह ने भारत से मदद मांगी और इसके बाद भारत ने कानूनी रूप से कश्मीर की रक्षा के लिए सेना भेजी। 27 अक्टूबर 1947 को भारतीय सैनिक श्रीनगर पहुंचे, वही दिन आज इंफेंट्री डे के रूप में मनाया जाता है।
भारत के पूर्व राजनयिक अशोक सज्जनहार ने कहा,'पाकिस्तान को इतिहास समझने की जरूरत है। यह अब भी 1947 की मानसिकता में जी रहा है।'उन्होंने कहा कि 'भारत की कार्रवाई पूरी तरह डिफेंसिव (रक्षात्मक) थी।'
27 अक्टूबर 1947 का दिन सिर्फ एक सैन्य अभियान नहीं था, बल्कि भारत की अखंडता की रक्षा का प्रतीक था। भारतीय सैनिकों ने श्रीनगर एयरपोर्ट की सुरक्षा संभाली और पाक समर्थित हमलावरों को पीछे धकेल दिया। आज भी भारतीय सेना उस दिन को इंफेंट्री डे (Infantry Day) के रूप में याद करती है।
जहां पाकिस्तान 27 अक्टूबर को 'ब्लैक डे' के रूप में मनाता है, वहीं दस्तावेज और ऐतिहासिक तथ्य बताते हैं कि भारत ने कानूनी और नैतिक अधिकार के तहत कश्मीर की रक्षा की थी। वहीं, पाकिस्तान-ऑक्यूपाइड कश्मीर (PoK) में आज भी आवाम बिजली संकट, भ्रष्टाचार और दमन से जूझ रही है।
2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद भारत ने साफ कहा था कि 'जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग थे, हैं और रहेंगे।' इस बयान के बाद पाकिस्तान का कूटनीतिक अभियान और तेज हुआ, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसका झूठ हर बार बेनकाब हुआ है।
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