बुर्का पहनी लड़कियों की तस्वीरें पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर वायरल।
पेशावर: स्थानीय प्राधिकारी द्वारा खरीदे गए बुर्का पहनी लड़कियों की तस्वीरें वायरल होने के बाद पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर लोगों ने अपना गुस्सा जाहिर किया।
पख्तूनख्वा प्रांत के एक छोटे से गांव चीना में एक जिला पार्षद ने स्थानीय सरकारी कोष से करीब 90,000 रुपये ले कर लगभग 90 बुर्का खरीदे। ये बुर्का गांव में स्थित सरकारी माध्यमिक स्कूल की छात्राओं के लिए खरीदे गए थे। यह इलाका बेहद रूढ़िवादी है और ढेर सारी महिलाएं बुर्का पहनती हैं। अधिकारी मुजफ्फर शाह ने बताया कि अभिभावकों के अनुरोध पर उन्होंने बुर्का खरीदे। ये अभिभावक इतने संपन्न नहीं हैं कि बुर्का खरीद पाते। शाह ने एएफपी को बताया, ‘‘लगभग 90 फीसदी लड़कियां पहले ही बुर्का पहनती हैं। इसलिए मुझे लगा कि इन गरीब लड़कियों को नया बुर्का मिलना चाहिए।’’
तस्वीर में बुर्का पहनी लड़कियां आ रही हैं नजर
मुजफ्फर शाह ने कहा कि पूर्व में उन्होंने इस कोष का इस्तेमाल स्कूल के लिए एक सोलर पैनल खरीदने में, शौचालय बनवाने में और कुछ नया फर्नीचर खरीदने में किया था
बहरहाल, उनकी खींची गई दो तस्वीरों से सोशल मीडिया में मानों उबाल आ गया। एक तस्वीर में कक्षा में बुर्का पहनी लड़कियां नजर आ रही हैं। दूसरी तस्वीर में एक डेस्क पर बुर्का पड़े नजर आ रहे हैं। फातिमा वली नामक महिला ने ट्वीट किया ‘‘शिक्षा के स्तर में सुधार पर, उत्पीड़न, दुर्व्यवहार तथा बलात्कार के लिए कड़ी सजा पर जोर देने के बजाय परिधान खरीदा गया। ‘‘पाकिस्तानी महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाली गुलालई इस्माइल ने सोशल मीडिया पर लोगों के गुस्से की सराहना की है।
आलोचनाओं का कारण समझ नहीं पा रहा हूं- मुजफ्फर शाह
हाल ही में न्यूयार्क गई गुलालई ने लिखा ‘‘मैं यह देख कर खुश हूं कि समय बदल रहा है और महिलाओं के पक्ष में अधिकाधिक लोग खड़े हो रहे हैं।’’ शाह का कहना है कि वह आलोचनाओं का कारण समझ नहीं पा रहे। ‘‘इलाके के लोग मुझसे खुश हैं। अगर मैं लड़कियों को जीन्स बांटता तो क्या मीडिया और उदारवादी मेरी तारीफ करते?’’ प्रांतीय शिक्षा मंत्री जियाउल्ला बंगश ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि बुर्का स्कूल की वर्दी का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा ‘‘हमारे ड्रेस कोड में नीला ढीला ढाला कुर्ता, सलवार शामिल है। वर्दी पर बुर्का पहनना, न पहनना लड़कियों पर निर्भर करता है। हम उन्हें बाध्य नहीं कर सकते।’’
कुछ सप्ताह पहले सरकार ने इसी प्रांत के दो अन्य जिलों में छात्राओं के लिए नकाब पहनने का आदेश वापस ले लिया था।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)