
PM Modi Ethiopia Parliament: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफ्रीकी देश इथियोपिया की संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित कर एक नया इतिहास रच दिया है। अदीस अबाबा में दिया गया यह भाषण न सिर्फ भारत-इथियोपिया संबंधों के लिए अहम रहा, बल्कि यह दुनिया की 18वीं संसद थी, जहां पीएम मोदी ने अब तक भाषण दिया है। इससे पहले बहुत कम भारतीय नेताओं को ऐसा अवसर मिला है। यह संबोधन इथियोपिया की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा के दूसरे दिन हुआ, जिसे भारत-अफ्रीका रिश्तों में एक बड़े कूटनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है।
पीएम नरेंद्र मोदी इथियोपिया की संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बन गए हैं। इससे भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका और अफ्रीकी देशों के साथ मजबूत होते रिश्तों का संकेत मिलता है। यह भाषण ऐसे समय हुआ है, जब भारत ग्लोबल साउथ की आवाज़ बनकर उभर रहा है।
इथियोपियाई सांसदों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने भावुक शब्दों में कहा कि इथियोपिया आकर उन्हें अपनापन महसूस हो रहा है। उन्होंने कहा कि “इथियोपिया, शेरों की भूमि है। मेरा गृह राज्य गुजरात भी शेरों का घर है। यहां आकर मुझे घर जैसा एहसास हो रहा है।” इस बयान ने सदन में सांस्कृतिक जुड़ाव और भावनात्मक रिश्ता और मजबूत कर दिया।
पीएम मोदी ने भारत और इथियोपिया की साझा सांस्कृतिक भावना को रेखांकित करते हुए कहा कि “भारत का राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ और इथियोपिया का राष्ट्रगान, दोनों हमारी धरती को माँ के रूप में देखते हैं।” उन्होंने कहा कि दोनों गीत लोगों को अपनी मातृभूमि, विरासत और संस्कृति पर गर्व करना सिखाते हैं और देश की रक्षा के लिए प्रेरित करते हैं।
पीएम मोदी ने अपने भाषण में भारत-अफ्रीका सहयोग, विकास साझेदारी, तकनीक, शिक्षा और वैश्विक मुद्दों पर साझा प्राथमिकताओं की बात की। उन्होंने इथियोपियाई प्रधानमंत्री को भारत में होने वाले AI इम्पैक्ट समिट और BRICS समिट के लिए भी आमंत्रित किया।
पीएम मोदी ने बताया कि उन्हें इथियोपिया का सर्वोच्च सम्मान ‘ग्रेट ऑनर निशान ऑफ इथियोपिया’ दिया गया है। उन्होंने कहा कि “मैं इस सम्मान को भारत के लोगों की ओर से विनम्रता के साथ स्वीकार करता हूं।” यह सम्मान दोनों देशों के मजबूत रिश्तों और आपसी सम्मान का प्रतीक माना जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि पीएम मोदी का यह दौरा भारत-इथियोपिया ही नहीं, बल्कि पूरे अफ्रीका के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगा। व्यापार, तकनीक और वैश्विक मंचों पर सहयोग के नए रास्ते खुल सकते हैं।
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