ट्रंप ने पास की महाभियोग की अग्निपरीक्षा, सभी आरोपों से बरी; व्हाइट हाउस ने कहा, पुनर्स्थापना जैसा

संसद के उच्च सदन सीनेट में बुधवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प महाभियोग के सभी आरोपों से बरी हो गए। उन पर सत्ता का दुरुपयोग करने और अमेरिकी संसद के काम में रुकावट डालने का आरोप था। महाभियोग के संकट से निकलने वाले ट्रम्प अमेरिकी इतिहास के तीसरे राष्ट्रपति हैं।

वॉशिंगटन. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। संसद के उच्च सदन सीनेट में बुधवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प महाभियोग के सभी आरोपों से बरी हो गए। उन पर सत्ता का दुरुपयोग करने और अमेरिकी संसद के काम में रुकावट डालने का आरोप था। सीनेट में रिपब्लिकंस का बहुमत है। लिहाजा सत्ता के दुरुपयोग के आरोप पर ट्रम्प को 52-48 और कांग्रेस के काम में रुकावट डालने के आरोप पर 53-47 वोट मिले। महाभियोग के संकट से निकलने वाले ट्रम्प अमेरिकी इतिहास के तीसरे राष्ट्रपति हैं।

‘ट्रम्प आरोपमुक्त हुए’

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सीनेट से बरी होने के बाद व्हाइट हाउस की प्रवक्ता स्टेफनी ग्रीशम ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति ट्रम्प को सारे आरोपों से मुक्ति मिल गई है। यह एक तरह से उनकी पुनर्स्थापना जैसा है। डेमोक्रेट्स का शर्मनाक बर्ताव अब बीते दिनों की बात हो गई है।’’ ग्रीशम ने आगामी राष्ट्रपति चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि क्या डेमोक्रेट्स खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए? 

डेमोक्रेट लाए थे महाभियोग प्रस्ताव

18 दिसंबर को निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्ज में ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। आरोप था कि उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडीमिर जेलेंस्की पर 2020 में डेमोक्रेटिक पार्टी के संभावित उम्मीदवार जो बिडेन और उनके बेटे के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच के लिए दबाव बनाया। बिडेन के बेटे यूक्रेन की एक ऊर्जा कंपनी में बड़े अधिकारी हैं। यह भी आरोप था कि ट्रम्प ने अपने राजनीतिक लाभ के लिए यूक्रेन को मिलने वाली आर्थिक मदद को रोक दिया था।

ट्रम्प से पहले दो राष्ट्रपतियों पर महाभियोग क्यों चला

अमेरिका के 17 वें राष्ट्रपति डेमोक्रेटिक पार्टी के जॉनसन के खिलाफ अपराध और दुराचार के आरोपों में हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में महाभियोग प्रस्ताव पास हुआ था। सीनेट में जॉनसन के पक्ष में वोटिंग हुई और वे राष्ट्रपति पद से हटने से बच गए। ऐसे ही 42वें राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को ज्यूरी के सामने झूठी गवाही देने और न्याय में बाधा डालने के मामले में महाभियोग का सामना करना पड़ा था। 

1974 में राष्ट्रपति निक्सन पर अपने एक विरोधी की जासूसी करने का आरोप लगा था, लेकिन महाभियोग से पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। क्योंकि उन्हें पता था कि सीनेट में मामला जाने पर इस्तीफा देना पड़ेगा।

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