
वर्ल्ड डेस्क। बच्चों की परवरिश करना कोई आसान काम नहीं है। उन्हें सही शिक्षा देना, हर तरह से उनका विकास करना और एक अच्छा इंसान बनाना, ये सब कुछ हमें पूरी तरह से समर्पित होकर करना पड़ता है। भागदौड़ भरी जिंदगी में कई बार ऐसा करना मुश्किल हो जाता है। लेकिन, चीन के अमीर दंपत्ति अब बच्चों की देखभाल के लिए खास लोगों को रख रहे हैं।
ये लोग सिर्फ बच्चों की देखभाल करने वाले नहीं होते। असल माता-पिता बच्चों के किन-किन मामलों पर ध्यान देते हैं, ये सब कुछ इन्हें भी देखना होता है। बच्चों की पढ़ाई, मानसिक विकास, एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज, इन सब में उनका साथ देना होता है। 'चाइल्ड कंपेनियन' के नाम से जाने जाने वाले ये 'प्रोफेशनल माता-पिता' अच्छी खासी रकम वसूलते हैं।
ऐसे ही कुछ चाइल्ड कंपेनियन से बातचीत करने वाली एक साइकोलॉजी की पीएचडी छात्रा बताती हैं कि हार्वर्ड, कैम्ब्रिज, सिंघुआ, पेकिंग यूनिवर्सिटी जैसी नामी यूनिवर्सिटीज के ग्रेजुएट्स चाइल्ड कंपेनियन बनने के लिए आवेदन कर रहे हैं। ये लोग पोस्ट ग्रेजुएट या उससे भी ज्यादा पढ़े-लिखे होते हैं। साथ ही, कई भाषाओं के जानकार और स्पोर्ट्स में माहिर भी होते हैं।
ये लोग आया या ट्यूटर की तरह नहीं होते, बल्कि असली माता-पिता की तरह बच्चों के साथ घुल-मिल जाते हैं। बच्चों को डॉक्टर के पास ले जाना, होमवर्क करवाना, उनके साथ घूमने जाना, उनकी भावनाओं को समझना, ये सब उनकी जिम्मेदारी होती है।
काम के घंटे ज्यादातर बच्चों के माता-पिता ही तय करते हैं। एक लाख या उससे भी ज्यादा सैलरी पाने वाले लोग भी हैं। लेकिन, कई बार बच्चे अपने असली माता-पिता से ज्यादा इन 'किराए' के माता-पिता के करीब हो जाते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस काम के लिए महिलाओं को ज्यादा पसंद किया जाता है।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों के विकास के लिए असली माता-पिता का साथ जरूरी है, न कि पैसे से खरीदे गए लोगों का। उनका कहना है कि इससे बच्चों का अपने असली माता-पिता से लगाव कम हो सकता है।
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