Russia के राष्ट्रपति Putin ने कहा-पश्चिमी देशों की दलाली वाला मिन्स्क समझौता अब अस्तित्व में नहीं

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को विद्रोहियों के कब्जे वाले यूक्रेन के डोनेट्स्क और लुगांस्क क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता दी थी। इन दोनों को अलग देश के रूप में पुतिन ने मान्यता देते हुए अपने रक्षा मंत्रालय को अलगाववादियों के कब्जे वाले क्षेत्रों में शांति व्यवस्था का कार्य संभालने का निर्देश दिया।

Asianet News Hindi | Published : Feb 22, 2022 9:18 PM IST

मास्को। यूक्रेन (Ukraine) के दो क्षेत्रों को स्वतंत्र मान्यता देने के बाद पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों और आलोचनाओं को झेल रहे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने यूएस नेतृत्व वाले नाटो देशों (NATO Countries) पर जबानी हमला बोला है। पुतिन ने मंगलवार को कहा कि पूर्वी यूक्रेन में संघर्ष को समाप्त करने के लिए बाध्य करने वाले पश्चिमी-दलाली शांति समझौते अब अस्तित्व में नहीं हैं। रूसी राष्ट्रपति ने साफ किया कि उन्होंने पूर्व सोवियत देश के अलगाववादी क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता दी थी।

समझौता अब मौजूद नहीं

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पुतिन ने कहा कि मिन्स्क समझौते (Minsk agreements) अब मौजूद नहीं हैं, हमने डीएनआर (DNR) और एलएनआर (LNR) को मान्यता दी है। दरअसल, पुतिन रूस के संसद के ऊपरी सदन से उन्हें रूस के बाहर सेना का उपयोग करने की अनुमति मिलने के बाद पश्चिमी देशों की आलोचनाओं का जवाब दे रहे थे। उन्होंने साफ किया कि डोनेट्स्क और लुगांस्क में रूसी सेना शांति कायम रखने के लिए हर कोशिश करेगी। 

उधर, फ्रांस ने मंगलवार को पुतिन पर 2014 के मिन्स्क समझौते सहित प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समझौतों के लिए अपने देश की प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने में विफल रहने का आरोप लगाया, जिसमें पूर्वी यूक्रेन में संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान की मांग की गई थी।

विदेश मंत्री जीन-यवेस ले ड्रियन ने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन अब रूस के हस्ताक्षर का सम्मान नहीं करते हैं। विदेश मंत्री ने यह बात रूस के यूक्रेन के पूर्वी क्षेत्रों की मान्यता के बाद यूरोपीय संघ के 27 सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से प्रतिबंध के ऐलान के बाद कही। 

सोमवार को रूस ने दो देशों को दी थी मान्यता

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को विद्रोहियों के कब्जे वाले यूक्रेन के डोनेट्स्क और लुगांस्क क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता दी थी। इन दोनों को अलग देश के रूप में पुतिन ने मान्यता देते हुए अपने रक्षा मंत्रालय को अलगाववादियों के कब्जे वाले क्षेत्रों में शांति व्यवस्था का कार्य संभालने का निर्देश दिया।

यह है विवाद की वजह

रूस यूक्रेन की नाटो की सदस्यता का विरोध कर रहा है। लेकिन यूक्रेन की समस्या है कि उसे या तो अमेरिका के साथ होना पड़ेगा या फिर सोवियत संघ जैसे पुराने दौर में लौटना होगा। दोनों सेनाओं के बीच 20-45 किमी की दूरी है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन पहले ही रूस को चेता चुके हैं कि अगर उसने यूक्रेन पर हमला किया, तो नतीजे गंभीर होंगे। दूसरी तरफ यूक्रेन भी झुकने को तैयार नहीं था। उसके सैनिकों को नाटो की सेनाएं ट्रेनिंग दे रही हैं। अमेरिका को डर है कि अगर रूस से यूक्रेन पर कब्जा कर लिया, तो वो उत्तरी यूरोप की महाशक्ति बनकर उभर आएगा। इससे चीन को शह मिलेगी। यानी वो ताइवान पर कब्जा कर लेगा।

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