रूस ने अमेरिका से कहा- Ukraine पर नहीं करेंगे हमला, नाटो गारंटी दे कि नहीं बनाएगा सदस्य

रूस ने अमेरिका से कहा कि वह यूक्रेन पर हमला नहीं करेगा। इसके साथ ही रूस ने नाटो से इस बात की गारंटी की मांग की कि वह यूक्रेन को कभी सदस्यता पेश नहीं करेगा। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 11, 2022 1:52 AM IST

जेनेवा। स्विटजरलैंड के जेनेवा में रूस और अमेरिका के बीच यूक्रेन (Ukraine) संकट पर उच्च स्तरीय वार्ता हुई। इस दौरान रूस ने अमेरिका से कहा कि वह यूक्रेन पर हमला नहीं करेगा। इसके साथ ही रूस ने नाटो से इस बात की गारंटी की मांग की कि वह यूक्रेन को कभी सदस्यता पेश नहीं करेगा। सोमवार को सात घंटे तक हुई बातचीत के दौरान दोनों पक्षों के बीच तनाव कम करने पर सहमती बनी।

दरअसल, यूक्रेन की सीमा पर रूस ने करीब एक लाख सैनिकों को तैनात किया है। इसके चलते यूक्रेन को रूस के हमले का डर सता रहा है। अमेरिका और उसके सहयोगी देश यूक्रेन का साथ देने की बात करते हैं। अमेरिका ने कहा है कि रूस ने हमला किया तो वह कड़े प्रतिबंध लगाएगा। इस बीच, रूस ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि वह पश्चिम के साथ मास्को के टकराव में शामिल जोखिमों को कम करके न आंकें।

हमला करने का इरादा नहीं
रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि हमने अपने सहयोगियों को समझाया कि हमारी यूक्रेन पर हमला करने की कोई योजना नहीं है, न ही कोई इरादा है। सैनिकों और बलों के युद्ध प्रशिक्षण के लिए सभी उपाय हमारे क्षेत्र के भीतर किए जाते हैं। सीमा पर सैनिकों की मौजूदगी बढ़ने से डरने का कोई कारण नहीं है।

दूसरी ओर अमेरिकी उप विदेश मंत्री वेंडी शेरमेन ने कहा कि बातचीत के दौरान दोनों पक्ष के लोगों ने एक-दूसरी की सुरक्षा चिंताओं को बेहतर तरीके से समझा। आगे भी बातचीत जारी रखने पर सहमति बनी है। अमेरिका ने रूस से आग्रह किया है कि वह तनाव कम करे और यूक्रेन की सीमा से सैनिकों को हटाए। रूस से इस संबंध में कोई आश्वासन नहीं मिला है। 

नाटो गारंटी दे कि यूक्रेन को नहीं बनाएगा सदस्य
वेंडी शेरमेन ने कहा कि बातचीत के दौरान रूस ने मांग की कि नाटो इस बात की पक्की गारंटी दे कि वह कभी भी यूक्रेन को सदस्यता की पेशकश नहीं करेगा। अमेरिका ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। अमेरिका ने दोनों देशों के लिए सैन्य अभ्यास और मिसाइल तैनाती को सीमित करने के लिए कुछ विचार पेश किए, लेकिन इसका कोई मतलब नहीं था कि यह रूस के लिए पर्याप्त होगा।

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