रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध (Russia Ukraine War) का रविवार को चौथा दिन है। रूस, यूक्रेन की राजधानी कीव पर लगातार हमले कर रहा है। इस हमले के कारण लोग यूक्रेन छोड़कर अपने-अपने सुरक्षित ठिकानों में पहुंच रहे हैं।
ट्रेंडिंग डेस्क. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध (Russia Ukraine War) का रविवार को चौथा दिन है। रूस, यूक्रेन की राजधानी कीव पर लगातार हमले कर रहा है। इस हमले के कारण लोग यूक्रेन छोड़कर अपने-अपने सुरक्षित ठिकानों में पहुंच रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ इसे लोग तीसरा विश्व युद्ध भी कह रहे हैं। लेकिन हम आपको एक ऐसी महिला फाइटर के बारे में बता रहे हैं जिसने दूसरे विश्वयुद्ध में जर्मनी की सेना के हौंसलों को पस्त कर दिया था। इस महिला को लेडी डेथ के नाम से भी जाना जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जर्मन तानाशाह हिटलर (Adolf Hitler) भी स लेडी डेथ के नाम से डरता था। इस महिला का नाम ल्यूडमिला पावलिचेंको (Lyudmila Pavlichenko) था।
ल्यूडमिला पावलिचेंको एक 26 वर्षीय रूसी गुरिल्ला स्नाइपर, जिसने 309 जर्मनों को मार डाला था। उसने ओडेसा और सेवस्तोपोल की रक्षा में भाग लिया, जहां वह आखिरी तक रही, वह चार बार घायल हो चुकी थी। उनकी इसी बहादुरी को देख सोवियत संघ की रेड आर्मी में जगह मिली। उन्होंने ये कीर्तिमान तब बनाया जब उस वक्त आर्मी का में महिलाओं को शामिल नहीं किया जाता था।
कैसे बनी स्नाइपर
हेनरी साकैडा की किताब 'हीरोइन्स ऑफ द सोवियत यूनियन' के मुताबिक ल्यूडमिला पहले हथियारों की फैक्ट्री में काम करती थीं, लेकिन बाद में एक लड़के की चुनौती की वजह से वो स्नाइपर (निशानेबाज) बन गईं। 12 जुलाई 1916 को यूक्रेन के एक गांव में जन्मीं ल्यूडमिला ने महज 14 साल की उम्र में ही हथियार थाम लिया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उनके पड़ोस में रहने वाला एक लड़का शूटिंग सीखता था और वो लड़कियों को कमजोर समझता था। उसके मुताकि लड़कियां शूटिंग नहीं कर सकती थी। उसकी बात को गलत साबित करने के लिए उन्होंने स्नापर बनने का फैसला लिया था।
राइफल डिवीजन में हुईं थी शामिल
साल 1941 में यूक्रेन की कीव यूनिवर्सिटी में हिस्ट्री की पढ़ाई करने वाली 24 वर्षीय ल्यूडमिला ने हथियार उठा लिए थे। जब वह अपनी पढ़ाई के चौथे साल में थी तभी सोवियत यूनियन हमला कर दिया था। तब रिक्रूटिंग ऑफिस में पेवलिचेंको पहले राउंड में भर्ती होने वाले वॉलंटियर्स में से थीं। बाद में वहां से ल्यूडमिला रेड आर्मी की 25वीं राइफल डिवीजन में शामिल हुई थीं।
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