पाकिस्तान में 19 दिसंबर को हुआ OIC शिखर सम्मेलन(OIC summit) प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए फजीहत का कारण बन गया। तालिबान की वकालात पर जोर देने के कारण पाकिस्तान को खासी किरकिरी करानी पड़ गई। कहने को OIC में 57 मुस्लिम देश मेंबर्स हैं, लेकिन सिर्फ 16 छोटे देशों के ही विदेश मंत्री इस्लामाबाद पहुंचे। बाकी देशों ने एम्बेसेडर्स या छोटे अफसरों को पाकिस्तान भेज दिया।
इस्लामाबाद. अफगानिस्तान में तालिबान(Taliban) का सत्ता में लाने के बाद से पाकिस्तान दुनिया की नजरों गिरता जा रहा है। पाकिस्तान में 19 दिसंबर को हुए OIC शिखर सम्मेलन(OIC summit) के लिए तालिबान को निमंत्रण भेजकर पाकिस्तान ने फिर से अपनी फजीहत करा ली। पाकिस्तान का मकसद तालिबान को दुनिया से मान्यता दिलाने मुस्लिम देशों के जरिये दबाव डालना था। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। कहने को OIC में 57 मुस्लिम देश मेंबर्स हैं, लेकिन सिर्फ 16 छोटे देशों के ही विदेश मंत्री इस्लामाबाद पहुंचे। बाकी देशों ने एम्बेसेडर्स या छोटे अफसरों को पाकिस्तान भेज दिया।
भारत में मीटिंग कर रहे थे OIC से जुड़े 5 बड़े देश
पाकिस्तान के लिए जले पर नमक छिड़कने वाली बात यह रही कि जब इस्लामाबाद में OIC का शिखर सम्मेलन चल रहा था, तब अफगानिस्तान के पड़ोसी पांच सेंट्रल एशियाई देशों के विदेश मंत्री दिल्ली में अफगान से जुड़े मुद्दे पर मीटिंग करने मौजूद थे। यही नहीं, सोमवार को सभी ने PM नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की। पाकिस्तान मीडिया का मानना है कि भारत ने अपनी कूटनीति के जरिये पाकिस्तान में OIC सम्मेलन पर पानी फेर दिया। सोशल मीडिया पर इमरान खान सरकार से सवाल पूछे जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर(S. Jaishankar) और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार(National Security Advisor of India) अजित डोभाल(Ajit Doval) की कूटनीति ने पाकिस्तान में OIC को फेल कर दिया। कजाखिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने पाकिस्तान जाने के बजाय दिल्ली मे आयोजित इंडिया-सेंट्रल एशिया समिट में आना सही समझा।
OIC की तरह भारत मे आयोजित बैठक का मुद्दा भी अफगानिस्तान था
भारत में आयोजित इंडिया-सेंट्रल एशिया समिट का मुद्दा भी अफगानिस्तान ही था। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के मुताबिक, भारत और सेंट्रल एशिया के पांचों देश अफगानिस्तान की मदद करना चाहते हैं। भारत के अफगानिस्तान से गहरे सांस्कृतिक रिश्ते हैं।
मान्यता के लिए परेशान है तालिबान
पाकिस्तान ने 13 दिसंबर को इस्लामिक अमीरात यानी तालिबानी सरकार को इस्लामिक देशों के संगठन के इस शिखर सम्मेलन में शामिल होने निमंत्रण भेजा। टोलो न्यूज(Tolo News) के अनुसार, तालिबान के विदेश मंत्रालय के सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक स्टडीज के प्रमुख वलीउल्लाह शाहीन(Waliullah Shaheen) ने कहा था कि अफगानिस्तान की इकोनॉमी, बैंकिंग सिस्टम और दुनिया में अफगानिस्तान के रिलेशन को सामान्य बनाना मीटिंग का मुख्य एजेंडा था। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार मीटिंग में OIC के सदस्यों के अलावा अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, विश्व बैंक और मानवीय संगठनों के प्रतिनिधिमंडलों को भी आमंत्रित किया गया था।
क्या है OIC
यह एक इस्लामी सहयोग संगठन ( Organisation of Islamic Cooperation-OIC) है। इसका मकसद इस्लामी देशों के बीच सहयोग करना है। इसके सदस्य हैं- अफगानिस्तान, अल्बानिया, अल्जीरिया, अज़रबैजान, बहरीन, बांग्लादेश, बेनिन, ब्रूनेई, दार-ए- सलाम, बुर्किना फासो, कैमरून, चाड, कोमोरोस, आईवरी कोस्ट, जिबूती, मिस्र, गैबॉन, गाम्बिया, गिनी, गिनी-बिसाऊ, गुयाना, इंडोनेशिया, ईरान, इराक, जार्डन, कजाखस्तान, कुवैत, किरगिज़स्तान, लेबनान, लीबिया, मलेशिया, मालदीव, माली, मॉरिटानिया, मोरक्को, मोजाम्बिक, नाइजर, नाइजीरिया, ओमान, पाकिस्तान, फिलिस्तीन, कतर, सऊदी अरब, सेनेगल, सियरा लिओन, सोमालिया, सूडान, सूरीनाम, सीरिया, ताजिकिस्तान, टोगो, ट्यूनीशिया, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान, युगांडा, संयुक्त अरब अमीरात, उज्बेकिस्तान, यमन।
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