Ukraine Crisis: पोलैंड पहुंचे 1700 अमेरिकी सैनिक, पूर्वी-दक्षिणी हिस्से में होंगे तैनात

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के आदेश पर अमेरिकी सैनिकों को लेकर एक विमान दक्षिणी पोलैंड में उतरा। पोलैंड के रक्षा मंत्रालय के अनुसार पोलैंड भेजे गए 1,700 अमेरिकी सैनिक देश के पूर्वी-दक्षिणी हिस्से में तैनात होंगे।

Asianet News Hindi | Published : Feb 7, 2022 2:33 AM IST / Updated: Feb 07 2022, 08:05 AM IST

वारसॉ (पोलैंड)। रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव (Russia Ukraine Tension) के बीच इस सप्ताह पोलैंड, रोमानिया और जर्मनी में अतिरिक्त अमेरिकी सैनिकों को तैनात करने के अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) के आदेश पर अमेरिकी सैनिकों को लेकर एक विमान रविवार को दक्षिणी पोलैंड में उतरा।

पोलैंड के रक्षा मंत्रालय के अनुसार पोलैंड भेजे गए 1,700 अमेरिकी सैनिक देश के पूर्वी-दक्षिणी हिस्से में तैनात होंगे। शुक्रवार और शनिवार को अन्य विमानों से रसद, उपकरण और कम संख्या में सैनिक पहुंचे थे। अमेरिका ने यह कार्रवाई रूस और यूक्रेन के बीच तनाव बढ़ने के चलते की है। पश्चिमी देश रूसी सीमाओं के पास सैन्य युद्धाभ्यास बढ़ा रहे हैं।

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बता दें कि यूक्रेन और उसके पश्चिमी सहयोगियों ने रूस पर यूक्रेनी सीमा के पास बड़े पैमाने पर सैनिकों को तैनात करने का आरोप लगाया है। अमेरिका और उसके सहयोगी देशों का आरोप है कि रूस यूक्रेन पर हमला करने की योजना बना रहा है। वहीं, रूस ने इस आरोप को खारिज कर दिया है। रूस का कहना है कि वह यूक्रेन पर हमला करने की कोई योजना नहीं बना रहा है। रूस को अपने सीमा के अंदर सैनिकों को कहीं भी तैनात करने का अधिकार है।

रूस और चीन का करीब आना नई बात नहीं
इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि चीन और रूस का करीब आना कोई नई बात नहीं है। बीजिंग में चीनी और रूसी राष्ट्राध्यक्षों की मुलाकात हुई। इस दौरान दोनों ने अपने राष्ट्रों के बीच दोस्ती की पुष्टि की। इसपर बाइडेन ने कहा कि इसमें कुछ भी नया नहीं है। बाइडेन ने यह बयान उस सवाल के जवाब में दिया, जिसमें एक संवाददाता ने यह पूछा था कि क्या वह रूस और चीन के बहुत करीब आने पर चिंतित हैं।

गौरतलब है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की शुक्रवार को बीजिंग में मुलाकात हुई थी। इसके बाद जारी संयुक्त बयान में यूक्रेन संकट को लेकर चीन ने रूस के सुर के में सुर मिलाते हुए अमेरिका से कहा था कि मसले का शांतिपूर्ण हल निकालने के लिए अमेरिका को नाटो का पूर्वी यूरोप में विस्तार रोकने का वादा करना होगा। वहीं, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ताइवान पर चीन के हक को स्वीकार किया था।

 

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