Indian Students in Ukraine : यूक्रेन के फंसे भारतीय मूल के छात्र एक अलग तरह के युद्ध से लड़ रहे हैं। इनके पास न खाना है और न ही यूक्रेनी सरकार की मदद। ऐसे में इस्कॉन मंदिर और गुरुद्वारा मदद को आगे आए हैं। ये इन छात्रों को मुफ्त खाना मुहैया करा रहे हैं। इन्होंने अपने नंबर भी जारी किए हैं।
नई दिल्ली। यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्र दहशत (Indian Students in Ukraine) में हैं। घंटों पैदल चलकर रोमानिया, हंगरी और पोलैंड बॉर्डर पहुंच रहे हैं। दो-दो दिन सीमाओं पर इंतजार कर रहे हैं। बॉर्डर क्रॉस करने के बाद तो देश में उन्हें सुविधाएं मिल रही हैं, लेकिन यूक्रेन में वे बदहाल हैं। ऐसे में यूक्रेन के रोमानिया बॉर्डर पर तीन रेस्टोरेंट छात्रों को फ्री खाना परोस रहे हैं। रोमानिया जाने वाला कोई भी छात्र इन जगहों पर मुफ्त भोजन कर सकता है। इन रेस्त्रां ने अपना नंबर भी सोशल मीडिया समेत विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर जारी किया है।
होटलों में दो बोतल पानी में गुजर रहे चौबीस घंटे
इनमें से एक कीव का इस्कॉन मंदिर, दूसरा ओडेसा में गुरुद्वारा अवनहार्डिवस्का सेंट और एक अन्य रेस्त्रां है। पिछले पांच दिनों से जारी जंग बीच यूक्रेन के स्टोर्स में सामान काफी महंगा हो गया है। कई जगह जरूरत का सामान खत्म हो चुका है। ऐसे में खाने-पीने की चीजों के दाम भी बहुत बढ़ गए हैं। कीव में होटलों को पिछले 36 घंटे से लॉक रखा गया है। अंदर मौजूद लोगों को पूरे दिन के लिए सिर्फ दो बोतल पानी का सहारा है। मांसाहारी लोगों के लिए समस्या कम है, लेकिन भारतीय शाकाहारी छात्रों को खाने की दिक्कत हो रही है। ऐसे में उन्हें खाना मुहैया कराकर ये रेस्त्रां बड़ी मदद पहुंचा रहे हैं।
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इन नंबरों पर कर सकते हैं संपर्क
इस्कॉन टेंपल कीव : +380635371628
गुरुद्वारा ओडेसा : +380631450220
भोपाल की आर्या वॉट्सऐप ग्रुप के जरिये कर रहीं मदद
यूक्रेन के डनिप्रो शहर में 500 छात्र 5 दिन से घरों और बंकरों में कैद हैं। सरकार से मदद नहीं मिलने के बाद इन छात्रों के बीच में से ही कुछ छात्रों ने एक दूसरे की मदद के लिए वॉट्सऐप ग्रुप बनाया है। ऐसा ही एक ग्रुप भोपाल की आर्या श्रीवास्तव ने बनाया है। ‘इंडियन स्टूडेंट्स इन डनिप्रो’ के नाम से बने इस ग्रुप के जरिये छात्रों की मदद की जा रही है। आर्या कहती हैं कि फीस के लिए उनके पास जो रुपए थे, फिलहाल उससे ही वे फंसे हुए छात्रों की मदद कर रही हैं। आर्या दो महीने पहले फिजियोथैरेपी का कोर्स करने डनिप्रो गई थीं। आर्या बताती हैं कि दिन में वे लोग पैसा इकट्ठा कर खाना-पीना जुटाते हैं, क्योंकि शाम पांच बजे के बाद हमें निकलने की इजाजत नहीं है। करीब 10 किचन में खाना बनाया जा रहा है। वॉट्सऐप ग्रुप के जरिये जहां से जरूरत आती है वहां शाम पांच बजे तक खाना पहुंचा दिया जाता है।
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