अमेरिका ने चीनी तकनीक से लैस कारों पर सुरक्षा चिंताओं के चलते प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ सकता है।
अमेरिका ने चीनी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर से बनी कारों, ट्रकों और बसों पर सुरक्षा चिंताओं के चलते प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि ऑटोनॉमस ड्राइविंग और कारों को अन्य नेटवर्क से जोड़ने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक 'दूर से अमेरिकी सड़कों पर कारों को नियंत्रित करने' में किसी को भी मदद कर सकती है, इसी आशंका के चलते यह फैसला लिया गया है।
अमेरिकी कारों में वर्तमान में चीनी या रूस निर्मित सॉफ्टवेयर का उपयोग कम है। वाणिज्य सचिव जीना रायमोंडो ने कहा कि यह नया कदम अमेरिका की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम हैं। रायमोंडो ने कहा कि कारों में कैमरे, माइक्रोफोन, जीपीएस ट्रैकिंग और अन्य तकनीकें होती हैं और ये सभी इंटरनेट से जुड़ी होती हैं। इस जानकारी को लीक करने से अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और अमेरिकी नागरिकों की निजता को गंभीर खतरा हो सकता है। अमेरिका का तर्क है कि यह समझने के लिए ज्यादा कल्पना की जरूरत नहीं है।
चीनी अधिकारियों ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अमेरिका चीनी संस्थानों को गलत तरीके से निशाना बनाने के लिए 'राष्ट्रीय सुरक्षा' का हथकंडा अपना रहा है। अधिकारियों ने अमेरिका से बाजार सिद्धांतों का सम्मान करने और चीनी उद्यमों को खुला, निष्पक्ष, पारदर्शी और भेदभाव रहित कारोबारी माहौल प्रदान करने का आग्रह किया।
व्हाइट हाउस ने इलेक्ट्रिक कारों, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरियों और कई अन्य वस्तुओं पर पहले ही टैरिफ बढ़ा दिए हैं। साइबर सुरक्षा खतरे की चेतावनी देते हुए चीनी निर्मित कार्गो क्रेन के आयात पर भी विशेष रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया है। अमेरिका का यह कदम व्यापार के मोर्चे पर अमेरिका और चीन के बीच नए विवाद को जन्म देगा।