
वॉशिंगटन. अमेरिका की तमाम यूनिवर्सिटी उन छात्रों को दोबारा वैक्सीनेशन के लिए कह रही हैं, जिन्होंने वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) से अप्रूवल ना मिलने वाली कंपनियों के टीके लगवाए हैं। इसमें वे भारतीय छात्र भी शामिल हैं, जिन्होंने भारत बायोटेक की कोवैक्सिन और रूस की स्पुतनिक वी वैक्सीन लगवाई है।
अमेरिकी यूनिवर्सिटी इन वैक्सीन के असर और सुरक्षा को लेकर डेटा की कमी को इसकी वजह बता रहे हैं। इसी के साथ छात्रों को सेमेस्टर शुरू होने से पहले फिर से वैक्सीनेशन के लिए कहा जा रहा है।
स्टूडेंट्स को सता रही चिंता
वहीं, स्टूडेंट्स को चिंता सता रही है कि वे अगर दो वैक्सीन लेंगे तो इसका प्रभाव क्या होगा। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, 25 साल की मिलोनी दोशी कोलंबिया यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर जाने वाली हैं। उन्होंने कोवैक्सिन की दोनों डोज लगवा ली हैं, लेकिन यूनिवर्सिटी ने उन्हें दोबारा दूसरी वैक्सीन लगवाने के लिए कहा है।
दोशी ने बताया कि वे सिर्फ इस बात से चिंतित हैं कि दो वैक्सीन लेने के बाद नतीजे क्या होंगे। हालांकि, उन्होंने कहा, वैक्सीन के लिए आवेदन करना सबसे कठिन हिस्सा है। लेकिन यह सब अनिश्चित और चिंता पैदा करने वाला है।
दो वैक्सीन के परिणामों पर नहीं हुई रिसर्च
वहीं, अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रेवेंशन के प्रवक्ता ने बताया कि दो वैक्सीन इंटरचेंजएवल नहीं हैं ना ही दो वैक्सीन लगवाने के बाद वैक्सीन के असर और सुरक्षा को लेकर रिसर्च हुई है।
28 दिन करना होगा इंतजार
उन्होंने बताया कि जो लोग WHO से अप्रूवल ना मिलने वाली कंपनियों की वैक्सीन लगवा चुके हैं, उन्हें अमेरिका में दूसरी वैक्सीन की डोज लेने के लिए 28 दिन का इंतजार करना पड़ेगा। अमेरिका में अभी फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन जैसी वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है।
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