भारत-चीन सीमा विवाद के बीच सैन्य स्तर पर फिर हुई वर्चुअल बैठक, जल्द होगी अगले दौर की बैठक

भारत-चीन सीमा तनाव के बीच बुधवार को दोनों देश राजनायिक और सैन्य स्तर पर परामर्श और बातचीत में सहयोग जारी रखने के लिए सहमत हुए। इसी को लेकर भारत और चीन के बीच एक वर्चुअल बैठक हुई है। इसपर भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया है। बयान में मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि वर्चुअल बैठक में दोनों देशों इस बात पर सहमत हुए हैं कि वरिष्ठ कमांडरों की बैठक का अगला (7 वां) दौर जल्द आयोजित किया जाएगा। इस दौर में भी दोनों देश अपने सैनिकों के जल्द सीमा से हटाने की दिशा में काम करेंगे। 
 

Asianet News Hindi | Published : Sep 30, 2020 2:12 PM IST / Updated: Oct 04 2020, 01:31 PM IST

लद्दाख. भारत-चीन सीमा तनाव के बीच बुधवार को दोनों देश राजनायिक और सैन्य स्तर पर परामर्श और बातचीत में सहयोग जारी रखने के लिए सहमत हुए। इसी को लेकर भारत और चीन के बीच एक वर्चुअल बैठक हुई है। इसपर भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया है। बयान में मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि वर्चुअल बैठक में दोनों देशों इस बात पर सहमत हुए हैं कि वरिष्ठ कमांडरों की बैठक का अगला (7 वां) दौर जल्द आयोजित किया जाएगा। इस दौर में भी दोनों देश अपने सैनिकों के जल्द सीमा से हटाने की दिशा में काम करेंगे। 

इसके साथ ही भारत और चीन दोनों ने 20 अगस्त को हुई WMCC की अंतिम  बैठक के बाद के घटनाक्रमों को लेकर चर्चा की। दोनों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर वर्तमान स्थिति की समीक्षा भी की और विस्तृत चर्चा की। बता दें कि दोनों पक्षों ने इस महीने की शुरूआत में अपने देशों के रक्षा मंत्रियों और विदेश मंत्रियों के बीच बैठकों को लिए महत्व दिया महत्व दिया था।

मंगलवार को भारत ने चीनी दावे को किया ख़ारिज 

मंगलवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा था कि हमनें भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा के बारे में चीन के एक प्रवक्ता के हवाले से आई रिपोर्ट देखी है। भारत ने कभी भी एक तरफ़ा कार्रवाई के तहत 1959 में बनाए गए एलएसी को स्वीकार नहीं किया है। हमारी यह स्थिति हमेशा से रही है, और चीन समेत सभी को इस बारे में पता भी है। भारत ने अपने बयान में आगे कहा, "2003 तक दोनों तरफ़ से एलएसी के निर्धारण की दिशा में कोशिश होती रही लेकिन इसके बाद चीन ने इसमें दिलचस्पी दिखानी बंद कर दी लिहाज़ा ये प्रक्रिया रुक गई। इसलिए अब चीन का इस बात पर ज़ोर देना कि केवल एक ही एलएसी है, यह उन्होंने ने जो वादे किए थे ये उसका उनका उल्लंघन है।
 

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