
India-US Trade Deal: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत हो रही है। अमेरिका चाहता है कि भारत अपना डेयरी बाजार खोले, लेकिन भारत इसके लिए आसानी से तैयार नहीं हो रहा। भारत की मांग है कि सख्त प्रमाणीकरण होना चाहिए ताकि तय हो सके कि अमेरिका से ऐसा दूध भारत नहीं आए जिसे देने वाली गाय को मांस, खून या पशु से मिलने वाले प्रोडक्ट खिलाए जाते हैं। भारत में दूध और इससे तैयार किए जाने वाले प्रोडक्ट का इस्तेमाल धार्मिक कार्यों में भी होता है। इसलिए भारत के लिए यह ऐसे रेड-लाइन की तरह है जिसे पार नहीं किया जा सकता।
इंसान ज्यादातर गाय और भैंस के दूध का इस्तेमाल करते हैं। ये शाकाहारी जानवर हैं। घास, अनाज और दाल जैसे पौधे से मिलने वाले पदार्थ खाते हैं और दूध देते हैं। भारतीय परंपरा में दूध को पवित्र माना जाता है। पूजा और दूसरे पवित्र कार्यों में इसका इस्तेमाल होता है।
अमेरिका में दूध और गाय को लेकर ऐसी मान्यता नहीं है। गाय से अधिक दूध मिले इसके लिए अमेरिका में गाय को मांस उद्योग से निकलने वाला कचरा खिलाया जाता है। उसे खून और मांस तक चारा में मिलाकर खिला दिया जाता है। इस तरह का खाना खाने वाली गाय से मिले दूध को नॉनवेज दूध कहा जाता है।
PTI की रिपोर्ट के अनुसार नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक GTRI (Global Trade Research Institute) के अजय श्रीवास्तव ने कहा, "कल्पना कीजिए कि आप उस गाय के दूध से बना मक्खन खा रहे हैं जिसे दूसरी गाय का मांस और खून दिया गया हो। भारत शायद कभी इसकी अनुमति नहीं देगा।"
अमेरिकी न्यूज पेपर द सिएटल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में गायों को ऐसा चारा खिलाया जाता है जिसमें सूअर, मछली, मुर्गी, घोड़े, यहां तक कि बिल्ली या कुत्ते के अंग शामिल हो सकते हैं। गाय को प्रोटीन के लिए सूअर और घोड़े का खून दिया जाता है। उसे चर्बी (मवेशी के अंगों से प्राप्त कठोर वसा) दिया जाता है। कुछ मामलों में गाय को मुर्गी पालन के कूड़े को भी कम लागत वाले चारा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
USRT की NTE (National Trade Estimate) की रिपोर्ट के अनुसार भारत ने पशु के मांस या खून जैसे पदार्थ मिला चारा खाने वाली गायों से बने डेयरी प्रोडक्ट के आयात पर बैन लगा रखा है।
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