पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। उनके दिल में हमेशा ही किसान रहे। उन्हें भारत रत्न देकर केंद्र सरकार ने किसानों के प्रति प्राथमिकता दिखाई है।
23 दिसंबर, 1902 में हापुड़ के नूरपुर गांव के जाट परिवार में जन्म हुआ। निधन 84 साल की उम्र में 29 मई, 1987 को दिल्ली में हुआ था। वे वकील थे और स्वतंत्रता आंदोलन से भी जुड़े रहे।
चौधरी चरण सिंह को सादगी पसंद थी। उन्हें कई बातें बिल्कुल पसंद नहीं थी। शराब पीने वालों से उन्हें नफरत थी। ऐसे लोगों को पास भी नहीं आने देते थे। इसे जीवन बर्बाद करने वाला मानते थे।
चौधरी चरण सिंह फिजूल खर्च करने वालों को पसंद नहीं करते थे। घर में फालतू बल्ब भी नहीं जलने देते। उनका मानना था जो काम पोस्टकार्ड से हो, उसके लिए दिल्ली जाकर समय-पैसे क्यों खर्च करें
चौधरी चरण सिंह को फिल्मों से भी नफरत थी। वे इसे समय की बर्बादी मानते थे। सांस्कृतिक तौर पर भी इसे पसंद नहीं करते थे। वो पसंद नहीं करते थे कि उनके परिवार का कोई सदस्य फिल्में देखे।
चौधरी चरण सिंह को क्रिकेट से नफरत थी। इसे सार्वजनिक तौर पर भी स्वीकार किया था। एक बार कहा था कि रेडियो पर क्रिकेट कमेंट्री को बंद करवा देनी चाहिए, ये लोगों को निठल्ला बनाती है।
चौधरी चरण सिंह अक्सर ही एंबेसडर कार में कहीं आया जाया करते थे। वे जहाज से उड़ने यानी फ्लाइट से सफर के खिलाफ थे। प्रधानमंत्री रहते हुए भी वे ट्रेन से ही लखनऊ आया जाया करते थे।