जोमैटो की कमाई का सबसे ज्यादा हिस्सा कंपनी ऐप पर रेस्टोरेंट लिस्टिंग से आता है। एक रेस्टोरेंट की लिस्टिंग का चार्ज करीब 1,000 रुपए। यह वन टाइम फीस है, जो रेस्टोरेंट देता है।
जब रेस्तरां जोमैटो ऐप से प्रोडक्ट बेचते हैं तो कमीशन चुकाना होता है। यही पैसा रेस्टोरेंट कस्टमर्स से वसूलते हैं। यह चार्ज 2-3 पैकेज में दिया जाता है, जो आपकी ऑर्डर का 23-27% तक है।
जब आप जोमैटो से कुछ ऑर्डर करते हैं तो उस पर 3 तरह का चार्ज देना पड़ता है। खाने की कीमत, रेस्टोरेंट हैंडलिंग चार्ज और डिलीवरी चार्ज, जो जोमैटो कस्टमर्स से लेता है।
जोमैटो ऐप पर कंपनी कई रेस्टोरेंट के विज्ञापन दिखाने के बदले चार्ज लेती है। जितनी ज्यादा विजिबिलिटी, उतना ज्यादा फीस लिया जाता है। जोमैटो विज्ञापन के अलग-अलग पैकेज देता है।
जोमैटो लॉयल्टी प्रोग्राम से ज्यादा से ज्यादा कस्टमर्स जोड़ती है। इसके तहत जोमैटो गोल्ड सब्सक्रिप्शन देती है, जिसकी अलग-अलग कीमत हो सकती है। ज्यादा कस्टमर्स आने से कमाई बढ़ती है।
जोमैटो से कुछ खास इवेंट की टिकट भी बेचती है। इन इवेंट से ग्राहकों को खास रेस्टोरेंट तक पहुंचाया जाता है। इससे रेस्टोरेंट की कमाई होती है, जिसका एक हिस्सा जोमैटो के पास आता है।
जोमैटो से कुछ ऑर्डर करने पर प्लेटफॉर्म फीस दिखती है जो अभी 5 रुपए है। कंपनी 1 साल में 100 करोड़ सालाना ऑर्डर पर पहुंच चुकी है। इस तरह सालाना कमाई करीब 500 करोड़ हो सकती है।
क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म ब्लिंकट जोमैटो का ही हिस्सा है। इससे सामान ऑर्डर करने पर डिलीवरी फीस,प्लेटफॉर्म फीस या कोई भी चार्ज भी जोमैटो के ही खाते में जुड़ता है।
जोमैटो हाइपरप्योर बिजनेस मॉडल से भी पैसे कमाता है। इसमें वेंडर्स को थोक में सामान सप्लाई किया जाता है।हाइपरप्योर से होने वाली कमाई भी जोमैटो के खाते में ही जुड़ी है।
जोमैटो समय-समय पर जोमालैंड इवेंट आयोजित करता है। इसमें बड़ी संख्या में लोग आते हैं। जिस शहर में इवेंट होता है, वहां फूड एंटरटेनमेंट कार्निवल होता है, जिससे कंपनी तगड़ा कमाती है।