लहसुन और प्याज एक ही प्रजाति में आते हैं। इसकी उत्पत्ति पुराने अंग्रेजी शब्द garlēac से हुई, जिसका अर्थ गार यानी भाला और लीक यानी भाले के आकार का लीक है।
लहसुन के पौधे खरगोशों और छछूंदरों को दूर भगाने का काम करते हैं। इनके तेज गंध के चलते इन्हें कहीं-कहीं बदबूदार गुलाब भी कहा जाता है।
मिस्र में तूतनखामुन की कब्र में 1325 ईसापूर्व का लहसुन मिला। लहसुन का इस्तेमाल 7,000 वर्षों से भी ज्यादा समय से हो रहा है। मिस्र में यह काफी ज्यादा पसंद किया जाता था।
लहसुन की खासियत का पता लगने के बाद चौथी शताब्दी ईसा पूर्व इसकी खेती शुरू हुई थी। लहसुन के सबसे पुराने अवशेष 4000 ईसा पूर्व मध्य ताम्रपाषाण काल में इजरायल में ईन गेदी गुफा से मिले
मिस्र में लहसुन काफी कीमती मानी जाती थी। इसी वजह से ममी के साथ लहसुन को भी संरक्षित रखा जाता था। ऐतिहासिक दस्तावेजों में इसका सबसे पहला संदर्भ 'अवेस्ता' से मिला मिलता है।
मिस्र में पिरामिड बनाने वाले श्रमिकों और दासों के बीच लहसुन काफी लोकप्रिय था। एक बार तो लहसुन की कमी के कारण काम तक रुक गया था। तब श्रमिकों को इसे वेतन के रूप में दिया जाता था।
ग्रीक ओलंपियनों से लेकर नीरो के अधीन रोमन ग्लेडियेटर्स तक के एथलीटों को लेकर बताया जाता है कि वे अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए लहसुन खाया करते थे।
यूरोप की कई संस्कृतियों में लहसुन सफेद जादू में उपयोग होता था। हिंदू-जैन धर्म में लहसुन को राजसिक भोजन माना जाता है। इस्लाम में मस्जिद जाने से पहले कच्चा लहसुन खाने से मना है।
चीन में दुनिया में पैदा होने वाले कुल लहसुन का 73.8% पैदा होता है। भारत दूसरे नंबर पर 10.4 फीसदी का उत्पादन करते है। इसके बाद बांग्लादेश 1.7 प्रतिशत के साथ तीसरे नंबर पर है।
भारत में 25 सालों में लहसुन का उत्पादन 2.16 लाख टन से बढ़कर 8.34 लाख टन हुआ है। 50 प्रतिशत से ज्यादा गुजरात और मध्यप्रदेश में पैदा होता है। खपत से कम पैदावार से ये महंगा आता है।