कतर ने जासूसी के आरोप में भारत के 8 पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा दी है। भारतीय विदेश मंत्रालय उन्हें वापस लाने के विकल्पों पर काम कर रहा है। कानूनी प्रक्रियाएं चल रही हैं।
कतर की गिनती आज दुनिया के सबसे अमीर देशों में होती है। एक समय ऐसा भी था जब यह खाड़ी का कंगाल और गुलाम देश हुआ करता था। आज कतर की तस्वीर पलट गई है।
ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स 2023 की रिपोर्ट में UN ने कतर को दुनिया की विकसित अर्थव्यवस्था माना है। यहां की प्रति व्यक्ति की आय 51 लाख रुपए से भी ज्यादा है।
साल 1850 में कतर एक देश के तौर पर वजूद में आया। तब अल-थानी खानदान का शासन हुआ करता था। कतर पहले तुर्की और फिर ब्रिटेन का गुलाम बना। यहां गरीबी चरम पर हुआ करती थी।
कतर 1971 में आजाद हुआ। इससे दो दशक पहले ही बदलाव शुरू हो गई थी। 1950 में कई जगह तेल-गैस के भंडार मिले, यहीं से कतर की किस्मत खुलने लगी। तब आबादी 25 हजार से कम थी।
दुनिया में कतर का रुतबा बढ़ा तो प्रवासी और निवेशक पहुंचने लगे। 70 के दशक में यहां की आबादी 1 लाख तक पहुंची यहां खूब पैसा आने लगा। आज यहां 27 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं।
कतर ने तेल और गैस से अर्थव्यस्था की नींव मजबूत की। व्यापार का दायरा बढ़ाया। तेल के अलावा मछली यहां के व्यापार की रीढ़ है। यहीं से कतर ने खुद को अमीर बनाया।
कतर शासकों ने अर्थव्यवस्था को बढ़ाने कई प्रयास किए। नतीजा उसकी अलग पहचान बन गई। आज दुबई, सऊदी, अमेरिका से ज्यादा अमीर कतर में रहते हैं। यहां हर तीसरा आदमी करोड़पति है।
कतर प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। कतर के लोगों को इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता है। कतर के लोगों को बिजली, पानी और इलाज मुफ्त में मिलता है।