ज्वेलरी, सिक्के और बाकी सोने की चीजें फिजिकल गोल्ड होती हैं। अगर 3 साल में सोना बेचा है तो यह शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाता है और इससे होने वाले फायदे पर इनकम टैक्स देना पड़ता है
सोना बेचकर जो मुनाफा आपको हुआ, उस पर इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है। अगर सोना 3 साल बाद बेचा है तो यह लॉग टर्म कैपिटल गेन कैटेगरी में आएगा, जिस पर टैक्स 20.8% लगता है।
इस बॉन्ड का मेच्योरिटी पीरियड 8 साल होता है। इस पर 2.50% की दर से ब्याज मिलता है। जो टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्सेबल होता है। 8 साल होने पर इससे जो भी कमाई होगी, टैक्स फ्री रहेगी।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर भी लॉन्ग टर्म से हुए फायदे पर ही टैक्स लगता है। इसका मतलब फिजिकल गोल्ड की तरह इस पर भी टैक्स 20.8% ही होता है।।
गोल्ड ETF और गोल्ड म्यूचुअल फंड्स में 3 साल से कम होल्डिंग पर जो कैपिटल गेन होता है, उस पर शॉर्ट टर्म गेन के हिसाब से टैक्स का भुगतान करना पड़ता है।
अब अगर गोल्ड ईटीएफ या गोल्ड म्यूचुअल फंड ती साल के बाद बेचते हैं तो इस पर लॉन्ग टर्म टैक्स अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से देना होगा। यानी आपको 20.8% टैक्स देना होगा।
अगर आपने कुछ साल पहले 5 लाख की कीमत का सोना लिया था, जो अब बढ़कर 7 लाख रुपए हो गया है तो जो आपका मुनाफा यानी दो लाख रुपए है, वही कैपिटल गेन होता है, जिस पर टैक्स लिया जाता है।