इजराइल और हमास के बीच पिछले 81 दिनों से युद्ध चल रहा है। जिसका खामियाजा इजराइल की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा है। पूरे देश में बेरोजगारी बढ़ गई है।
ताउब सेंटर फॉर सोशल पॉलिसी स्टडीज की रिपोर्ट के अनुसार, इस तिमाही इजरायल की अर्थव्यवस्था दो फीसदी गिर जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार, इसकी वजह फिलिस्तीनी कामगारों का काम छोड़ना है।
7 अक्टूबर को जब हमास ने इजराइल पर हमला किया, उसके बाद से ही जंग छिड़ गई, जिसके बाद फिलिस्तीनी कामगारों को इजरायल ने वापस गाजा या वेस्ट बैंक भेज दिया गया जिससे कई काम ठप हैं।
हमास से युद्ध शुरू होने के बाद इजराइली सरकार ने करीब 9 लाख लोगों को सेना में सेवा देने बुला लिया। तभी से ये लोग काम पर नहीं जा रहे हैं और फैक्ट्रियों का कामकाज पूरी तरह ठप है।
एक्सपर्ट्स् का मानना है कि हमास से युद्ध की वजह से इजराइल की अर्थव्यवस्था अगले साल यानी 2024 में सिर्फ 0.5 प्रतिशत ही बढ़ेगी।
ताइब सेंटर के अनुसार, इजराइल में युद्ध के बाद से 1 लाख 91 हजार 666 लोगों ने बेरोजगारी भत्ते के लिए अप्लाई किया है। उनका कहना है उन्हें जबरन छुट्टी पर भेजा गया और सैलरी नहीं मिलेगी।
इजराइल में पर्यटन, मैनुफैक्चरिंग और कृषि क्षेत्रों में कामगारों की भारी कमी है। निर्माण उद्योग फिलिस्तीनी कामगारों पर ही डिपेंड है। इजरायल ने कई देशों से कामगर भेजने की मांग की है।
इजरायल ने भारत से 1 लाख कामगार भेजने की मदद मांगी है। इसी को देखते हुए हरियाणा सरकार ने इजरायल की शर्त मानकर 10 हजार कामगारों को भेजने की भर्ती निकाली है।