कई बार अचानक से पैसों की जरूरत पड़ने पर निवेशक अपनी इक्विटी म्यूचुअल फंड यूनिट बेच देते हैं, लेकिन अपनी यूनिट्स बेचने की बजाए अगर उस पर लोन ले तो फायदे का सौदा होता है।
इस लोन के दो फायदे हैं। पहला- अपनी यूनिट्स रिडीम नहीं करना पड़ता, जिससे निवेश पर रिटर्न मिलता रहता है। दूसरा- कम ब्याज पर जल्दी पैसा मिल जाता है, जिससे इमरजेंसी फंड आ जाता है।
एक्सपर्ट्स भी म्यूचुअल फंड लोन को खराब नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि इक्विटी फंड यूनिट्स की कुल वैल्यू का 50 प्रतिशत तक और डेट फंड में 80 फीसदी तक लोन मिल सकता है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इक्विटी फंड पर लोन लेने में कोई बुराई नहीं है लेकिन डेट फंड पर लोन लेने से बचना चाहिए, क्योंकि इस पर लिए गए लोन का ब्याज रिटर्न से ज्यादा होता है।
म्यूचुअल फंड के बदले अगर लोन लेने हैं तो इसकी अवधि 12 महीने यानी एक साल होती है। इससे कम से कम 10,000 और अधिकतम 1 करोड़ रुपए तक का लोन ले सकते हैं।
म्यूचुअल फंड पर लोन की ब्याज दर क्रेडिट स्कोर के आधार पर तय होती है। आमतौर पर इस लोन की ब्याज दर 9 से 10 फीसदी होती है।
बैंकबाजार डॉट. कॉम के मुताबिक, पर्सनल लोन HDFC बैंक में 10.5 से 21% तक, ICICI बैंक 10.50 से 16%, एक्सिस बैंक 10.49 से 22% सालाना। गोल्ड लोन की ब्याज दर 10% से शुरू होती है।
इस लोन का सबसे बड़ा नुकसान है कि शेयर बाजार में गिरावट टॉप-अप लाना होगा। लेंडर उतना पैसा जमा करने को कहते हैं जितनी फंड में गिरावट हुई है। इसलिए मार्केट की स्थिति देखकर ही लोन लें।