पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा जाएगा। उनका कार्यकाल हमेशा याद किया जाता है। उनका देश के विकास में अहम योगदान रहा है।
पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव ने 90 के दशक के मध्य में देश में आर्थिक उदारीकरण की नीतियां लागू की थी। इसके बाद देश आर्थिक शक्ति बनने की राह पर चल पड़ा और लगातार मजबूत हुआ।
नरसिम्हा राव 20 जून 1991 को प्रधानमंत्री बने। इससे सालभर पहले राजनीतिक करियर खत्म मानकर दिल्ली से जा रहे थे। राजनीति से संन्यास लेकर तमिलनाडु की एक मॉनेस्ट्री जॉइन करने वाले थे।
नरसिम्हा राव संन्यास की तैयारी कर रहे थे, तभी 21 मई 1991 को तमिलनाडु में राजीव गांधी की हत्या हो गई और इस घटना ने पीवी नरसिम्हा राव की राजनीति को एक नए दिशा में मोड़ दिया।
राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस अध्यक्ष की रेस में कई कद्दावर नेता थे लेकिन पार्टी की आम सहमति नरसिम्हा राव पर बनी। 29 मई 1991 में कांग्रेस की बागडोर उनके हाथ आ गई।
पूर्व PM मनमोहन सिंह के सलाहकार रहे संजय बारू एक लेख में लिखते हैं कि नरसिम्हा राव तत्कालीन राष्ट्रपति आर. वेंकटरण की पसंद थे। अध्यक्ष बनने में के. करुणाकरण का भी साथ मिला था।
जिस समय नरसिम्हाराव कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए, उसके अगले ही महीने लोकसभा चुनाव में पार्टी 232 सीट जीतकर आई। तब सबसे अनुभवी नेता होने के नाते नरसिम्हाराव देश के प्रधानमंत्री बने।