1962 के लोकसभा चुनाव में पारदर्शिता और फर्जी वोटिंग रोकने के लिए पहली बार ऊंगली पर स्याही लगाने की शुरुआत हुई। इसके बाद हर चुनाव में इस स्याही (Indelible Ink) इस्तेमाल होने लगा।
भारत में सिर्फ ही कंपनी चुनाव वाली स्याही बनाती है। इसका नाम मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड (MPVL) है। यह कर्नाटक सरकार की कंपनी है, जिसकी शुरुआत आजादी से पहले 1937 में हुई थी।
70 के दशक से लेकर आज तक सिर्फ MPVL को ही चुनाव वाली स्याही बनाने की इजाजत है। इस स्याही का फार्मूला भी सीक्रेट है। कंपनी इस फॉर्मूले को किसी के साथ शेयर नहीं कर सकती है।
MPVL नेशनल फिजिकल लैबोरेट्री की मदद से वोटिंग वाली स्याही बनाती है। भारत के अलावा 25 अन्य देशों में कंपनी इस स्याही को एक्सपोर्ट करती है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, MPVL जो चुनावी स्याही बनाती है, उसकी 1 शीशी से कम से कम 700 उंगलियों पर स्याही लग सकती है। हर शीशी में 10 ml स्याही होती है।
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, Indelible Ink की 10 ml वाली शीशी की कीमत करीब 127 रुपए है। इस हिसाब से एक लीटर चुनावी स्याही का दाम करीब 12,700 रुपए होगा।
अब अगर 10 एमएल की चुनावी शीशी का दाम 127 रुपए है तो 1 एमएल यानी एक बूंद की कीमत 12.7 रुपए होगी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए MPVL को 26 लाख वायल से ज्यादा स्याही बनाने की जिम्मेदारी दी है, जो अंतिम चरण में है।