लोकसभा चुनाव में एक प्रत्याशी 50-70 लाख रु. तक खर्च कर सकता है। कई बार ये राज्य पर भी निर्भर करता है। अरुणाचल प्रदेश, गोवा, सिक्किम में 54 लाख, बाकी राज्यों में 70 लाख खर्च सीमा है
दिल्ली के लिए लोकसभा चुनाव के खर्च की सीमा 70 लाख रुपए है। बाकी केंद्र शासित प्रदेशों के लिए ये 54 लाख रुपए है।
जानकारी के मुताबिक, पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में करीब 8 अरब डॉलर यानी 55,000 करोड़ रु. खर्च हुए थे। पिछले पांच चुनावों की तुलना से पता चलता है कि ये खर्च 5 गुना से ज्यादा बढ़ गया है
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1999 लोकसभा चुनाव में करीब 100 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। 2004 के चुनाव में 141 करोड़, 2009 में 200 करोड़ और 2014 के लोकसभा चुनाव में 300 करोड़ रु. खर्च हुए।
देश में ग्राम पंचायत से लेकर लोकसभा तक के चुनावों का एक बार का अगर खर्च जोड़ा जाए तो यह आंकड़ा 10 लाख करोड़ रुपए के पास चला जाता है। कई राज्यों का बजट मिलाकर इतना नहीं होता है।
सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के अनुसार, अगर देश में सभी चुनाव एक हफ्ते के भीतर करवा दिए जाए तो कम से कम 3 लाख से 5 लाख करोड़ रुपए तक की बचत हो सकती है।
इस बार लोकसभा चुनाव सबसे महंगा होने का अनुमान है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2024 लोकसभा चुनाव में 1.20 लाख करोड़ रु. खर्च होने का अनुमान है। ज्यादातर हिस्सा प्रचार अभियान में खर्च होगा