चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद लैंडर-रोवर फिलहाल अच्छी तरह काम कर रहे हैं। हालांकि, दोनों के सामने अब भी कई चुनौतियां हैं।
इसरो चीफ एस सोमनाथ के मुताबिक, चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर ठीक तरह से काम कर रहे हैं, लेकिन फिर भी अभी खतरा पूरी तरह से टला नहीं है।
इसरो चीफ के मुताबिक, चूंकि चांद पर वायुमंडल नहीं है। ऐसे में कोई भी चीज दोनों को हिट (टक्कर) कर सकती है। अगर कोई चीज इनसे टकराती है तो ये नष्ट हो सकते हैं।
चंद्रमा की तरह ही पृथ्वी पर भी कई धूमकेतु और क्षुद्रगह अंतरिक्ष से आते हैं। लेकिन पृथ्वी पर वायुमंडल होने की वजह से वो इसके प्रभाव में आते ही जलकर नष्ट हो जाते हैं।
चंद्रमा की सतह पर कई अंतरिक्ष पिंडों के निशान हैं। अगर कोई क्षुद्रग्रह या अन्य कोई चीज तेज गति से चंद्रयान-3 से टकराती है तो लैंडर-रोवर को नुकसान हो सकता है।
इसरो चीफ एस सोमनाथ के मुताबिक, इसके अलावा थर्मल प्रॉब्लम और कम्यूनिकेशन ब्लैकआउट की समस्या भी चंद्रयान-3 के सामने है।
बता दें कि चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब इसरो 2 सितंबर 2023 को अपना पहला सौर मिशन आदित्य-एल-1 (Aditya-L1) लॉन्च करेगा।
भारत के पहले सौर मिशन पहला सौर मिशन आदित्य-एल-1 (Aditya-L1) की लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से की जाएगी।
आदित्य एल-1 PSLV से लॉन्च किया जाएगा। यह 15 लाख KM की दूरी 127 दिन में तय करेगा। इसे सूरज और धरती के बीच प्वाइंट हैलो ऑर्बिट में तैनात किया जाएगा, जहां से ये सूर्य पर स्टडी करेगा।