प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बनारस सांसद बनने के बाद से ही काशी की सूरत तेजी से बदली है। काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के अलावा शहर को एक से बढ़कर एक सौगातें मिली हैं।
वाराणसी को पीएम मोदी ने एक ऐसा तोहफा दिया है, जो देश में अब तक किसी शहर को नहीं मिला। इसके पूरे होते ही बनारस आकर जमीन नहीं बल्कि हवाई रास्ते काशी दर्शन कर सकेंगे।
इस प्रोजेक्ट के तहत 5 स्टेशन बनाए जाएंगे। इसके पूरा होने के बाद रेलवे स्टेशन से बाबा विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) तक पहुंचने में 1 घंटे की बजाय 16 मिनट ही लगेंगे।
पर्वतमाला परियोजना के तहत वाराणसी में देश का पहला अर्बन रोपवे (Urban Ropeway) प्रोजेक्ट तैयरा हो रहा है। कैंट रेलवे स्टेशन से रोपवे 3.75 KM दूर गोदौलिया चौराहे तक जाएगा।
अभी रेलवे स्टेशन से काशी विश्वनाथ मंदिर की दूसरी 6.3 किमी है। जिसे पूरा करने में करीब 30 मिनट से 1 घंटे तक का समय लगता है। जाम की वजह से इतनी देरी होती है, जिससे छुटकारा मिल जाएगा।
वाराणसी डेवलपमेंट अथॉरिटी (VDA) वाइस चेयरमैन पुलकित गर्ग की तरफ से बताया गया है कि अगले साल 2025 में प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा। इसका एक स्टेशन अगस्त,2024 में ही पूरा हो जाएगा।
वाराणसी रोपवे प्रोजेक्ट के पहले स्टेशन का रुट कैंट रेलवे स्टेशन से विद्यापीठ रास्ते रथयात्रा तक है। जुलाई, 2024 में इसका ट्रायल होगा, फिर नवंबर-दिसंबर में खोल दिया जाएगा।
काशी रोपवे प्रोजेक्ट की कुल लागत करीब 645 करोड़ रुपए बताई जा रही है। इस रोपवे पर हर घंटे करीब 6,000 यात्री सफर कर सकेंगे। हर दो-तीन मिनट में
रोप-वे प्रोजेक्ट में केबल पर एक बार में 150 गैंडोला चलाए जाएंगे। हर में 10 यात्री बैठ सकेंगे। अप एंड डाउन करने वाले यात्रियों को हर स्टेशन पर 2-3 मिनट में इसकी सुविधा मिल जाएगी।
बनारस रोपवे की ऊंचाई 45 मीटर होगी। जहां से पूरा शहर देख सकेंगे। कैंट रेलवे स्टेशन, काशी विद्यापीठ, रथयात्रा, गिरजाघर और गोदौलिया चौराहे कुल कुल 5 स्टेशन बनाए जा रहे हैं।