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4 बार नॉमिनेशन, फिर भी गांधी को क्यों नहीं मिला नोबेल शांति पुरस्कार?

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महात्मा गांधी शांति-अहिंसा के प्रतीक

महात्मा गांधी शांति-अहिंसा के प्रतीक के रूप में जाने जाते हैं, उन्होंने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि उन्हें ही नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिला।

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महात्मा गांधी को क्यों नहीं मिला नोबल शांति पुरस्कार

नोबेल समिति का ध्यान उस समय यूरोपीय-अमेरिकी व्यक्तियों पर केंद्रित था। 1960 तक अधिकांश शांति पुरस्कार विजेता इन्हीं क्षेत्रों से थे, जिससे गांधी जैसे वैश्विक नेताओं की अनदेखी हुई।

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4 बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित हुए महात्मा गांधी

गांधी को 1937, 1938, 1939 और 1947 में नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया, लेकिन फिर भी उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिला।

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नोबल शांति पुरस्कार के लिए 5वीं बार नामित होने से पहले गांधी की हत्या

महात्मा गांधी की हत्या 1948 में हुई, केवल दो दिन पहले जब वह फिर से नामांकित होने वाले थे। इस समय पर उनके निधन ने इस महत्वपूर्ण पुरस्कार को पाने का अवसर उनसे छीन लिया।

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भारतीय संदर्भ में देखा गया गांधी का काम

गांधी का काम मुख्य रूप से औपनिवेशिक भारत में शांति और स्वतंत्रता के लिए था, जबकि समिति ने तब वैश्विक संघर्षों को प्राथमिकता दी। गांधी का योगदान केवल भारतीय संदर्भ में देखा गया।

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मृत्यु के बाद नोबेल शांति पुरस्कार देने के नियम में स्पष्टता नहीं

महात्मा गांधी की हत्या के बाद, नोबेल समिति ने मृतक व्यक्तियों को पुरस्कार देने के स्पष्ट मानदंड नहीं बनाए थे। इससे गांधी को सम्मानित करने की प्रक्रिया और जटिल हो गई।

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महात्मा गांधी के योगदानों को कम आंकना

गांधी की शांति-हिंसा की भावना को मान्यता देने के बजाय तब की राजनीति ने उनके योगदान को कम आंका। यही वजह रही कि विश्व के इस महान नेता को शांति का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार नहीं मिला।

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