मामाअर्थ की संस्थापक गजल अलघ के अनुसार उन्हें बिजनेस का पहला पाठ अपने पिता से तब मिला जब वह स्कूल में थी। उस समय पिता वित्तीय संकट का सामना कर रहे थे।
पर्सनल केयर ब्रांड मामाअर्थ की सीईओ गजल अलघ के अनुसार उनकी बचपन की घटनाओं ने उनकी उस पर्सनालिटी को शेप दिया, जो वह आज हैं।
गजल अलघ ने उद्यमिता का पहला पाठ तब सीखा जब वह 8वीं कक्षा में थीं। वह बड़े संयुक्त परिवार में पली-बढ़ी। उनके पिता तीन भाई और पांच बहनें थे। यानी कुल मिलाकर आठ सदस्य।
जब गजल अलघ के दादा-दादी नहीं रहे, तो परिवार में झगड़े होने लगे, जायदाद का अनुचित बंटवारा हुआ। पिता को जो दुकान मिली उस पर काफी कर्ज 40 से 50 लाख रुपये थी, जो बहुत बड़ी रकम थी।
यह गजल अलघ के पिता के जीवन की एक अप्रत्याशित घटना थी। अपने पिता को पहली बार टूटते हुए देखा। वह एक बहुत ही आत्मविश्वासी और मौज-मस्ती करने वाला व्यक्ति थे, जो अवसाद में जा रहे थे।
गजल अलघ की मां ने तब बहुत साहस दिखाया और उनके पिता को संकट से उबरने में मदद की। अपना सारा सोना निकाल लिया, उसे बेच दिया, पैसे लेकर आई, पापा को दुकान में सामान वापस रखने में मदद की।
उन्होंने अपनी मां को भी छोटे बच्चों के लिए ट्यूशन पढ़ाते हुए, परिवार की मदद करने की कोशिश करते हुए देखा। गजल अलघ के परिवार को कर्ज चुकाने में लगभग 5 साल लग गए।
गजल अलघ को पिता से पहला सबक मिला, जिसमें उन्होंने बताया था कि पैसा तभी घर आता है जब बिजनेस लाभ कमाता है। कोई भी बिजनेस लाभ नहीं कमा रहा है, तो पैसा घर नहीं आता है।
मूल रूप से चंडीगढ़ की रहने वाली गजल अलघ ने अपने पति वरुण अलघ के साथ 2016 में नई दिल्ली में मामाअर्थ की शुरुआत की थी। इसका वर्तमान मार्केट कैपिजलाइजेशन 12,500 करोड़ से अधिक है।