हमीदा बानो भारत की पहली महिला पहलवान थी। उन्होंने तब पहलवानी को अपना करियर बनाया जब पुरुष प्रधान देश में महिलाओं के लिए बंदिशें थीं। आज 4 मई का गूगल डूडल इसी रेसलर के नाम है।
हमीदा बानो का जन्म यूपी के मिर्जापुर में हुआ था। उनकी कुश्ती में दिलचस्पी थी। लेकिन परिवार वाले राजी नहीं थे तब वह अलीगढ़ चली आईं और यहां सलाम पहलवान से कुश्ती के दांव-पेंच सीखे।
जब हमीदा बानो 30 साल की थीं, उन्होंने घोषणा की कि जो पुरुष उन्हें कुश्ती में हरा देगा, उससे शादी कर लेगी। इसके बाद उन्होंने पटियाला और कोलकाता के दो पुरुष चैंपियनों को हराया।
फिर तीसरे मैच के लिए वडोदरा गईं, जहां गामा पहलवान ने हमीदा बानो से डर कर अपना नाम वापस ले लिया। फिरा बानो ने बाबा पहलवान से मुकाबला किया जिसे मात्र 1 मिनट 34 सेकेंड में हरा दिया।
बानो ने जबरदस्त प्रतिष्ठा अर्जित की थी। 1944 में मुंबई में गामा पहलवान से मुकाबले के दिन कुश्ती देखने 20,000 लोगों की भीड़ इकट्ठी हुई थी। जो मैच कैंसिल होने के बाद बेकाबू हो गई थी।
1954 में मुंबई में एक मुकाबले में, बानू ने कथित तौर पर एक मिनट से भी कम समय में वेरा चिस्टिलिन को हरा दिया, जिन्हें रूस की फीमेल बीयर कहा जाता था।
हमीदा बानो ने कोच सलाम पहलवान से शादी की। बानो के यूरोप जाकर कुश्ती लड़ने की जिद से उनके झगड़े हुए। सलाम ने बानो को मार-मार कर हाथ-पैर तोड़ दिये। 1986 में उनकी गुमनामी में मौत हुई।