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गन्ने के पत्तों से बनी झोपड़ी में रहता था परिवार, IAS बना बेटा

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IAS राजेंद्र भरूड कौन हैं?

राजेंद्र भरूड का जन्म 7 जनवरी 1988 को सकरी तालुका के छोटे से गांव समोदे, महाराष्ट्र में हुआ। वे बंडू भारूद और कमलाबाई की तीन संतानों में से हैं।

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मां ने देसी शराब बेच कर पाला

उनके जन्म से ठीक पहले पिता की म़ृत्यु हो गई थी। जिसके बाद उनकी मां और दादी ने देसी शराब बेचकर परिवार की भूख मिटाई।

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गन्ने के पत्तों से बनी झोपड़ी के नीचे रहता था परिवार

पूरा परिवार गन्ने के पत्तों से बनी एक छोटी सी झोपड़ी के नीचे रहता था।

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शिक्षकों ने उनका टैलेंट पहचाना

राजेंद्र कक्षा 5 में थे जब स्कूल के शिक्षकों ने पहचाना कि वे बुद्धिमान छात्र हैं। नवोदय विद्यालय की परीक्षा दी और पढ़ाई के लिए घर से 150 किलोमीटर दूर नवोदय विद्यालय चले गये।

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नवोदय विद्यालय में पढ़े

नवोदय विद्यालय में उन्हें रहने, खाने, पढ़ने की सुविधा मिली। यहीं साइंस और मैथ्स में रुचि जगी। 10वीं में दोनों विषयों में टॉप किया और 12वीं के साइंस टॉपर बने।

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डॉक्टर बनना था सपना

बचपन से डॉक्टर बनना चाहते थे ताकि गरीबों की मदद कर सकें। लेकिन बड़े हुए तो समझ में आया कि लोगों को गरीबी से निकालने की जरूरत है इसलिए सिविल सेवक बनने की ठानी।

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एमबीबीएस करते हुए यूपीएससी की तैयारी

एमबीबीएस करते हुए यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। एक रुटीन बनाई और उसे फॉलो करते रहे। एमबीबीएस की पढ़ाई के बाद यूपीएससी में सफलता मिली लेकिन वे IPS के लिए चुने गये।

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दोबार UPSC पास कर IAS बने

उन्होंने दोबारा यूपीएससी की परीक्षा दी और अच्छी रैंक लाकर IAS के लिए सेलेक्ट हुए। 2018 में नंदुरबार के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट नियुक्त हुए।

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मां के फैसले को सच साबित किया

उन्होंने न केवल यूपीएससी क्लियर करके बल्कि उससे पहले मेडिकल की पढ़ाई करके डॉक्टर बनकर यह साबित कर दिया कि उनकी मां का उन्हें अच्छे संस्थान में पढ़ाने का फैसला सही था।

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