1947 में स्वतंत्रता के बाद भारत ने 190 साल की उपनिवेशीय शिक्षा प्रणाली को बदलकर अपनी खुद की शिक्षा प्रणाली अपनाई। जानें 1947 से अब तक शिक्षा क्षेत्र में हुए बड़े बदलाव।
प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पहली पांच वर्षीय योजना बनाई, जिसका लक्ष्य अशिक्षा को समाप्त करना और सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा को सुनिश्चित करना था।
सिफारिशें: कोठारी आयोग की सिफारिशों के आधार पर।
उद्देश्य: मातृभाषा में शिक्षा, माध्यमिक और विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा में सुधार।
स्कूल प्रणाली: 10+2+3 प्रणाली का प्रस्ताव।
सिफारिशें: बाल-केंद्रित और प्रारंभिक शिक्षा पर जोर।
उद्देश्य: महिलाओं की सशक्तिकरण और वयस्क शिक्षा पर जोर।
लॉन्च: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा।
सिफारिशें: सभी के लिए मैट्रिक तक शिक्षा की उपलब्धता।
उद्देश्य: कक्षा 5 तक मातृभाषा को माध्यम के रूप में अपनाना, 5+3+3+4 स्कूल पाठ्यक्रम का प्रस्ताव।
उद्देश्य: प्री-स्कूल से लेकर सीनियर सेकेंडरी तक समान गुणवत्ता की शिक्षा सुनिश्चित करना। तीन भाग-
SSA: सर्व शिक्षा अभियान।
RMSA: राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान।
TE: शिक्षक शिक्षा।
उद्देश्य: महिला शिक्षा को बढ़ावा देना।
विशेष ध्यान: हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश।
उद्देश्य: 1.45 लाख स्कूलों का विकास।
प्रबंधन: केंद्रीय/राज्य सरकार/संस्थान (KVS और NVS) द्वारा।
समय सीमा: 2022-23 से 2026-27।
लाभार्थी: 20 लाख से अधिक छात्र।
नाम बदलना: 2021 में PM पोषण योजना।
उद्देश्य: बालवाटिकाओं (3-5 साल की उम्र) के छात्रों को कवर करना।
लॉन्च: 1995
उद्देश्य: प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देना और ड्रॉपआउट की दर को कम करना।
उद्देश्य: डिजिटल शिक्षा प्रणाली में सुधार।
सिफारिशें:
प्री-प्राइमरी छात्रों के लिए 30 मिनट से अधिक ऑनलाइन कक्षाएं नहीं।
कक्षा 1-8 के लिए दो सत्र।
कक्षा 9-12 के लिए चार सत्र।