फैमिली बिजनेस की जिम्मेदारी हाथ में लेने के बाद उसे नेक्स्ट लेवल पर ले जाने वाले दूसरी पीढ़ी में कई नाम शामिल हैं। जिसमें से एक है डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज के चेयरमैन सतीश रेड्डी।
इस फार्मा कंपनी की स्थापना उनके दिवंगत पिता के अंजी रेड्डी ने 1984 में की थी। 22 दिसंबर तक इसका मार्केट कैप 93,763 करोड़ है। सतीश 1993 में कंपनी में शामिल हुए।
सतीश रेड्डी ने उस्मानिया विश्वविद्यालय से केमिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की है। उनके पास अमेरिका के पर्ड्यू विश्वविद्यालय से मेडिकल केमेस्ट्री में एमएस की डिग्री है।
फोर्ब्स की रियल-टाइम बिलियनेयर्स रैंकिंग के मुताबिक 25 दिसंबर तक उनकी कुल संपत्ति 13300 करोड़ रुपये है। कंपनी में उनकी माइनॉरिटी स्टेक है।
सतीश ने फार्मास्युटिकल फील्ड की नीतियों को शेप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जिसमें भारत के पेटेंट कानून, ड्रग प्राइस, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट में महत्वपूर्ण संशोधन हैं।
सतीश रेड्डी ने संगठन को एपीआई केंद्रित निर्माता से एक ऐसी कंपनी में बदलने का नेतृत्व किया, जो तैयार खुराक फॉर्मूलेशन के विविध उत्पाद पोर्टफोलियो के साथ मूल्य-श्रृंखला में आगे बढ़ी।
उन्होंने रूस, चीन और अन्य उभरते बाजारों में डॉ. रेड्डी के तैयार डोजेज प्रोडक्ट का विस्तार किया। सतीश संगठन की सीएसआर पहल चलाते हैं क्योंकि वह डॉ. रेड्डीज फाउंडेशन के अध्यक्ष हैं।
वह नंदी फाउंडेशन के ट्रस्टी हैं, जो बाल अधिकार और शिक्षा, सुरक्षित पेयजल, एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट मार्केटिंग असिस्टेंट के फील्ड में काम करता है।
वह डॉ. रेड्डीज इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज के डायरेक्टर्स में से एक हैं। यह नॉन-प्रोफिट ऑर्गजाइजेशन केमेस्ट्री, बायोलॉजी, केमिकल बायोलॉजी के फील्ड में न्यू रिसर्च में लगा हुआ है।