ट्रेनी आईएएस ऑफिसर पूजा खेडकर की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। उनकी UPSC की उम्मीदवारी दांव पर है। आरक्षण नियमों के अनुसार उन्हें मिली रियायत मामले ने तूल पकड़ लिया है।
ट्रेनी आईएएस ऑफिसर पूजा खेडकर के आरक्षण के दावों वाले डॉक्यूमेंट्स की जांच चल रही है। इतना ही नहीं ट्रेनिंग के दौरान की उनकी LBSNAA की परफॉर्मेंस रिपोर्ट भी मांगी गई है।
एक ट्रेनी आईएएस ऑफिसर का प्रोबेशन पीरियड दो साल तक का होता है। लेकिन सरकार इसमें जरूरत अनुसार बदलाव कर सकती है और प्रोबेशन 1 साल और बढ़ा सकती है।
आईएएस प्रोबेशन रूल्स 1954 में इस बारे में जानकारी दी गई है कि एक प्रोबेशन आईएएस को किन स्थितियों में नौकरी से बर्खास्त किया जा सकता है।
प्रोबेशन के दौरान यदि ऐसा लगता है कि कैंडिडेट आईएएस ऑफिसर पद के योग्य नहीं है, तो उसे दोबारा यूपीएससी एग्जाम में शामिल होने के लिए कहा जा सकता है।
री एग्जाम में यदि प्रोबेशन आईएएस ऑफिसर पास नहीं हो पाता और सरकार को ऐसा लगता है कि वह पद के लिए अयोग्य है तो उसे बर्खास्त किया जा सकता है।
यदि प्रोबेशन के दौरान ट्रेनी आईएएस ऑफिसर जानबूझकर अपनी ड्यूटी की उपेक्षा करता है या नियमों का पालन नहीं करता है तब भी केंद्र सरकार उसे बर्खास्त कर सकती है।
यदि सरकार को ऐसा लगता है कि ट्रेनी IAS अफसर की मानसिक योग्यता पद के योग्य नहीं है या करैक्टर मामलों में भी उसे बर्खास्त किया जा सकता है।
इन सब के अलावा अन्य मामलों में ट्रेनी आईएएस को बर्खास्त करने से पहले आरोपों की उचित जांच की जानी जरूरी होती है। उसके बाद ही निर्णय लिया जाता है।