ट्रेनी आईएएस ऑफिसर पूजा खेडकर की आरक्षण उम्मीदवारी के डॉक्यूमेंट और अन्य दावों की जांच के लिए केंद्र ने एक सदस्यीय पैनल का गठन किया है।
पूजा खेडकर सत्ता के दुरुपयोग, दिव्यांगता और ओबीसी कोटा के दावे वाले डॉक्यूमेंट्स मामले में घिर गई हैं। जांच में यदि दावे झूठे निकले तो उनका IAS का तमगा छिन सकता है।
यदि डॉक्यूमेंट्स फेक पाये गये तो, इस मामले में ट्रेनी आईएएस पूजा को बर्खास्तगी के साथ-साथ जालसाजी के लिए आपराधिक आरोप का सामना करना पड़ सकता है।
पुणे में सहायक कलेक्टर के रूप में नियुक्त ट्रेनी आईएएस खेडकर तब सुर्खियों में आईं जब यह आरोप लगाया गया कि वह कार्यालय में अपनी सत्ता और विशेषाधिकारों का दुरुपयोग कर रही थीं।
खेडकर ने कथित तौर पर अपनी निजी ऑडी कार पर लाल-नीली बत्ती और महाराष्ट्र सरकार का भी बोर्ड लगाया था, जो कानून का उल्लंघन है।
पूजा खेडकर पर एडमिशनल कलेक्टर अजय मोरे के ऑफिस का बिना अनुमति उपयोग करने का भी आरोप है। कथित तौर पर बिना सहमति के उन्होंने ऑफिस पर कब्जा कर लिया और अपना नेमप्लेट तक लगा लिया।
2023 बैच की ट्रेनी आईएएस पूजा पर यूपीएससी की परीक्षा पास करने के लिए अपनी आर्थिक स्थिति में हेरफेर करने और विकलांगता सर्टिफिकेट जमा कर कोटा का दुरुपयोग करने का भी आरोप है।
पूजा खेडकर के पिता दिलीप खेडकर ने हाल ही में लोकसभा चुनाव लड़ा था। हलफनामे में 40 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी जबकि पूजा को ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर कोटा में सीट मिली।
नियमों के अनुसार ट्रेनी IAS को दोबारा परीक्षा देनी पड़ सकती है। एग्जाम पास करने में विफल रही और केंद्र को लगा है कि IAS भर्ती के लिए अयोग्य है तो उसे बर्खास्त किया जा सकता है।