आईएएस ऑफिसर पूजा खेडकर इन दिनों सुर्खियों में हैं। ट्रेनिंग के दौरान वीआईपी मांगों, प्राइवेट गाड़ी में लाल-नीली बत्ती और सरकारी लोगो लगाने के बाद अब उनके चयन पर सवाल उठ हो रहे हैं।
सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि सिविल सेवा परीक्षा के दौरान पूजा खेडकर ने दावा किया था कि वह मानसिक रूप से दिव्यांग हैं। इतना ही नहीं उन्हें देखने में भी परेशानी है।
लेकिन चौंकाने वाली बात है कि उनके मानसिक रूप से दिव्यांग होने के दावे के बाद भी बिना जांच के ही उनका एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस में सेलेक्श्न कैसे हो गया।
दावे की वजह से पूजा खेडकर को सेलेक्शन में रियायत दी गई। इस बीच कोर्ट की ओर से उन्हें 6 बार मेडिकल जांच की डेट दी गई लेकिन वह चेकअप के लिए नहीं पहुंची। फिर भी सेलेक्शन हुआ।
पूजा खेडकर ने सेलेक्शन में खुद को ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर स्टेटस का पात्र बताया। जबकि उनके पिता दिलीप खेडकर की संपत्ति 40 करोड़ है। ऐसे में उनके ओबीसी स्टेटस पर भी सवाल उठ रहे हैं।
आईएएस पूजा पर ट्रेनी आईएएस रहते हुए सत्ता के दुरुपयोग का आरोप भी है। उन्होंने आवास, ऑफिस रूम और स्टाफ जैसी फैसलिटी की मांग की थी जो प्रोबेशन में नहीं दी जाती।
एडिश्नल कलेक्टर के छुट्टी पर रहने के दौरान आईएएस पूजा ने उनके चेंबर पर कब्जा कर लिया। वहां अपनी नेमप्लेट तक लगा दी। जिसकी शिकायत के बाद उनका पुणे से वाशिम ट्रांसफर कर दिया गया।